________________
अर्द्धमागधी आगम साहित्य में यह स्वस्तिक शब्द सोत्थिय, सोवत्थिय आदि अनेक रूपों में मिलता है। अष्टमंगलों में यह प्रथम स्थान पर परिगणित है।
स्वस्तिक का बौद्ध धर्म से भी निकट का संबंध रहा है। बौद्ध ग्रंथ-ललितविस्तर एवं दिव्यावदान में शुभ चिह्नों का वर्णन मिलता है। ललितविस्तर में एक स्थल पर अनेक शुभ प्रतीकों के साथ स्वस्तिक का भी उल्लेख है दिव्यादानव में भी अन्य चिह्नों के साथ स्वस्तिक का उल्लेख है, जो भगवान् बुद्ध के चिह्न हैं
ततो भगवता चक्रस्वस्तिकेन नन्द्यावर्तेन जालावनद्धेनानेकपुण्य
शतनिर्जातेन भीतानामाश्वासकरेण पृथिवी परभृष्टा। कलाओं में स्वस्तिक
कलाओं में अनेक स्थलों पर स्वस्तिक का उल्लेख या अंकन है। वस्तुकला से इसका स्वस्तिक संबंध रहा है। स्वस्तिक एक श्रेष्ठ गृह को भी कहते हैं। तोरण, गोपुर, वेदिका भद्रासनादि पर भी स्वस्तिक का अंकन किया जाता था। श्रेष्ठ पुरुषों का एक चिह्न स्वस्तिक भी है। भगवान् महावीर के हाथ पर स्वस्तिक का चिह्न था।" ६.२ श्रीवत्स
श्रीवत्स शब्द दो शब्दों के मेल से बना है-श्री और वत्स। श्रीयुक्तं वत्सं वक्षो यस्य' अर्थात् श्री लक्ष्मी युक्त वक्षस्थल जिसका है वह श्रीवत्स है। भगवान विष्णु का चिह्नविशेष है। श्री ऐश्वर्य, विभूति, सम्पन्नता, शोभा, चारूता, सम्पत्ति, सृजन आदि का प्रतीक है। वत्स का अर्थ है सन्तान, बच्छड़ा, बच्चा, बालक आदि। श्री की कृपा पात्र जो है, वह श्रीवत्स है, जहां पर शोभा सम्पन्नता अनन्त सुख का चिर अधिवास हो वह श्रीवत्स है। अपने जागरूक पुरुषार्थ, अप्रमत्त प्रयत्न, शोभा चारूता के द्वारा पुरुष श्रीवत्स हो जाता है। यही कारण है कि महापुरुषों के प्रमुख लक्षण में श्रीवत्स प्रमुख है। भगवान विष्णु, श्रीराम, श्रीकृष्ण, भगवान अर्हत्, महात्मा बुद्ध आदि श्रीवत्स लक्षण से लक्षित हुए हैं। कोश वाड्मय में श्रीवत्स
अमरकोश में विष्णु के अनेक नामों में श्रीवत्सलांछन को गिनाया गया है। आचार्यों ने इसे विशेष रोमावर्त कहा है, जिससे वक्ष श्री से युक्त हो जाता है। हेमचन्द्र ने भगवान विष्णु के वक्ष पर अंकित चिह्न विशेष को श्रीवत्स कहा है-अंक श्रीवत्सो । टीकाकार का अभिमत है
श्रिया युक्तो वत्सो वक्षोऽनेन श्रीवत्सः रोमावर्तविशेषः । हलायुधकोश में निर्दिष्ट है-स तु वक्षस्य शुक्लवर्णदक्षिणावर्त लोमावली।
16
-
-
तुलसी प्रज्ञा अंक 131
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org