Book Title: Tamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Author(s): Bharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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इतना है कि वे रात में खाते हैं, मस्तक पर राख लगाते हैं, जनेऊ नहीं पहनते । स्थानीय जैन लोग इन तीनों से परे हैं। उन लोगों को 'नीरपूसी नैनार' अर्थात् माथे पर राख लगाने वाला कहा जाता है। उनकी संख्या भी काफी है। यदि वे लोग भी जैन रहते तो आज तमिलनाडु में जैनों की संख्या लाखों में होती । जैन धर्म पर क्या-क्या, कैसी-कैसी आपत्तियों नहीं आयी ? जैन लोगों ने इन सबको झेला । इन सभी आपत्तियों के बावजूद भी अभी तक कुछ लोग बचे हुए हैं। उनकी संख्या करीब पचास हजार की है।
उस समय जिंजी के पास वेलूर में 'वीरसेनाचार्य' नाम के एक मुनि तट के किनारे तप कर रहे थे। सेवक उसे पकड़कर राजा के पास ले गया। उस समय राजा पुत्रोत्पति की खुशी में था । इसलिए मुनि को छोड़ दिया । वे श्रवणबेलगोला चले गये ।
जिंजी राजा के अत्याचार के समय जिंजी के पास 'तायनूर' गाँव में 'गॉगेय उडयार' नाम के बड़े व्यक्ति रहते थे। वे उडैयारपालयं छोटे राजा के पास ‘अभय' की दृष्टि से गये थे । वह राजा बड़ा दयालु था । उसने आदर दिया और जमीन जायदाद भी दी । वे महाशय दंगा शान्त होने के बाद श्रवणबेलगोला गये थे। वहाँ विराजमान 'वीरसेनाचार्य' को ले आये । यहाँ जो लोग मत परिवर्तन होकर शैव बन गये थे, उन्हें फिर से जैन बनवाया गया था। वीरसेनाचार्य ने उन लोगों को यज्ञोपवीत पहनाकर जैन धर्म में दीक्षित किया था। उस उडैयार परंपरा के लोग जैन समाज में आज भी मौजूद है । वे लोग शादी, ब्याह आदि में कहीं भी जावें, समाज उन लोगों को आगे बैठाकर सम्मान करता है। वह परम्परा आज तक चालू है।
समझने की बात यह है कि तमिलनाडु के सारे जैन लोग रत्नत्रयस्वरूप यज्ञोपवीत बराबर पहनते हैं। हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मन्दिर आकर यज्ञोपवीत बदलते हैं । दूसरी बात यह है कि तमिलनाडु में उस यज्ञोपवीत ने ही जैन धर्म को बचाया था। उस समय यज्ञोपवीत पहनाकर जितने लोगों को जैन बना सके वे जैन बने । बाकी लोग वैसे ही शैव धर्म में रह गये । नैनार के नाम से शैव मतानुयायी के रूप में लाखों लोग आज भी मौजूद है । जैन मत के लिए एक से एक भयंकर दुर्घटनायें घटी हैं । इस तरह की कई आपत्तियाँ आयी थीं । आजकल जितने जैन मौजूद हैं, वे इस तरह की कठिनाइयों से बचे हुए लोग हैं। इन सब से बचकर अल्पसंख्या में आज भी जैन लोग मौजूद हैं । बौद्धों के समान बिलकुल खत्म नहीं हुए।
कुछ जैन लोग भंयकर कलह के समय अपना धर्म छोड़कर अपनी जीवरक्षा के निमित्त शैव बने, कुछ लोग वैष्णव बने और कुछ मुसलमान बने। इसके उदाहरण में देख सकते हैं कि केरल के आसपास आज
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