Book Title: Tamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Author(s): Bharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text
________________
- वैष्णव लोग जैन एवं बौद्ध मन्दिरों को ले लेते और वहाँ वैष्णव मन्दिर बनवाते थे । यहाँ भी यही हुआ । परन्तु इसकी एक कथा जोड़ दी गई । वह यह है कि श्रमण लोगों ने अपनी मंत्र शक्ति के द्वारा मदुरै नगरी को नाश करने के लिए हाथी भेजे । शिव ने उसे बाण के द्वारा मार डाला । वह हाथी पहाड़ के रूप में बच गया । वही आजकल का यानैमले है। इस तरह कपोल कल्पित कथाओं को बनाकर जोड़ दिया था। उसके भक्त उसे सच मानने के लिये तैयार बैठे हैं फिर क्या ? सच-झूठ और झूठ सच बन जाता है। मत या धर्म मोह के कारण लोग अन्धविश्वासी हो जाते हैं उन्हें सुधार नहीं सकते।
नागमलै :- यह भी मदुरै के पास का एक २००० वर्ष प्राचीन पहाड़ है। इसका रूप सॉप के समान होने से इसे नागमलै (सॉप पहाड़) कहते हैं । इस पहाड़ पर भी श्रमण साधुगण रहा करते थे। बाद में हिन्दू लोगों ने श्रमण साधुओं को भगा दिया था। इसके लिए भी एक झूठी कथा तैयार की गई थी। वह है- श्रमण लोगों ने मदुरै नगरी को खत्म करने के लिए अपनी मंत्र-शक्ति के द्वारा बड़े भारी सॉप को भेजा । शिवजी ने अपने बाण से उसे मार डाला । वही सॉप पत्थर के रूप में यहाँ बैठ गया है । इसके अलावा और भी कथायें जोड़ दी गई हैं ।
जनश्रुति है। यहाँ कभी सहस्रों नाग थे। वे सभी परम शान्त और अहिंसक थे। अतः यह पर्वत नागमलै कहलाया ।
इस नागमले पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां हैं। चढाई में एक छोटा सा मन्दिर है। उसमें एक छोटी सी जिन-प्रमिमा है । क्षेत्रपाल, कुष्माण्डिनी और पद्मावती प्रतिमायें भी हैं । इन सभी को अजैन लोग अन्य नामों से पूजते हैं। इसके ऊपर चढ़ने के बाद एक जिन बिम्ब है। पर्वत के शिलाखण्ड में मनोहर आठ प्रतिमायें उत्कीर्ण है । बायीं ओर पहले पहल खड्गासन गोमटेश्वर भगवान् हैं तदनन्तर फणा सहित ४ खड्गासन प्रतिमायें हैं , बीच में पद्मासन महावीर प्रभु हैं और दो पद्मासन प्रतिमायें भी हैं, उनमें से एक को खण्डित कर दिया गया है । इनके नीचे शीतल जल धारा प्रवाहित है । उस के ऊपर जाने पर मन्दिर का भग्नावशेष है ।
इससे आगे खण्डित मानस्तम्भ है। जिनालय का चिहून है । पर्वत के पीछे की ओर एक चट्टान के नीचे छोटी गुफा है उसमें तीन जिन प्रतिमायें हैं , दोनों ओर शासन देवता है। गुफा के द्वार पर चट्टान में पद्मासन महावीर स्वामी विराजमान हैं। यह मूर्ति अष्ट प्रातिहार्य सहित है । पर्वत के ऊपर चढ़कर देखने से चारों ओर सुन्दर नयनाभिराम दृश्य दिखाई देते हैं । अनेकों विदेशी लोग भी देखने आते हैं। पीछे से चढ़ने के लिए कच्ची सड़क है ।
-89
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org