Book Title: Tamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Author(s): Bharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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इडपगिरि :- इसे सोलै मलै भी कहते हैं । 'परिपाडल' नाम के ग्रंथ के अन्दर इसके बारे में बताया गया है। यानैमलै के समान यह पहाड़ भी वैष्णवों का स्थल बन गया है। यानैमलै के सदृश यहाँ भी गुफा और ब्राह्मीलिपि का शिलालेख है । प्राचीनकाल में यहाँ जैन साधुगण निवास करते थे। वृषभ का परिमार्जित रूप ‘इड़प' बना है । वास्तव में यह वृभषगिरि अर्थात् जैनों का वृषभनाथ पहाड़ था । यहाँ से भी जैन धार्मिक साधु महात्माओं को भगा दिया गया था । इस पहाड़ के बारे में भी झूठी कथायें तैयार कर ली गई थी।
पशुमलै :- यह पहाड़ भी मदुरै के पास है ।श्रमणों के द्वारा भेजी गई मायामयी गाय को सोमनाथ शिव के वृषभ ने मार दिया था । इसलिए वह 'पशु यानि गाय' यहाँ पत्थर के रूप में बैठ गई। हर एक बात के लिए शिवजी की वकालत ली जाती है। उन लोगों की कथा का सारांश यह है कि श्रमणों को मारने के लिए और शैव धर्म की रक्षा के लिए साक्षात् शिवजी प्रत्यक्ष होकर काम करते थे। जबकि इस तरह करने वाले तो ये ही लोग थे परन्तु शिवजी पर आरोप कर देते थे ।
तिरुप्परं कुन्ट्रं :- यह मदुरै क पास का पहाड़ ह । इस पहाड़ में श्रमण साधुओं की गुफायें, शय्यायें तथा उनके दर्शनार्थ जिन-बिम्ब और ब्राह्मी शिलालेख है। (१) यहाँ पर शय्यायें करीब ८० है। जिन मन्दिर को तोड़कर शिव मन्दिर बना लिया गया है, २५०० फुट लम्बी चट्टान में २ जिन प्रतिमायें उत्कीर्ण हैं । इसके पास एक छोटा सा मन्दिर है। उसके पीछे चट्टान में जिन प्रतिमायें हैं। कुछ भग्नावशेष भी पड़े हैं । इसकी तलहटी में पानी भरा रहता है । चारों ओर हरियाली दिखती है। सर्वत्र शिला आसन है। शायद मुनिराजों के बैठने के लिये हों । पीछे की ओर सैकड़ों गुफायें हैं। उनमें कई सौ शय्यायें हैं । दुर्भाग्य से वहाँ जाने का रास्ता ठीक नहीं है ।
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