Book Title: Tamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Author(s): Bharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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वर्ष पूर्व का जिनमन्दिर है। हर गाँव में जैन लोग अलग ही रहते हैं । इन लोगों की वीथी (स्ट्रीट) अजैनों की वीथी (गली) से अलग रहती है। यहाँ करीब चालीस जैन परिवार है । मन्दिर में अन्य धातु की प्रतिमायें भी है। इस मन्दिर की बांयी और तीन कोठियाँ हैं जिसमें कुष्माण्डिनी, पद्मावती और ज्वालामालिनी देवी विराजमान है। हर एक मन्दिर में भगवान् की सेवा करने वाले शासन देवता और देवियाँ विराजमान की जाती है। इनका आदर-सत्कार भी बराबर होता रहता है। इस प्रान्त में आगम परंपरा के अनुसार सब काम चलता है। यहाँ पर पंचामृताभिषेक की परंपरा चालू है। लोगों की भक्ति भावना भी सराहनीय है । आगम पर इनकी अटूट श्रद्धा है । मन्दिर की व्यवस्था ठीक है। फिलहाल इस मन्दिर की पंचकल्याण प्रतिष्ठा भी हुई है।
BAARTIKA
ओदलवाडी :- यह तिरुमलै से ५ कि. मी. पर है। यहाँ जैनियों के ६० घर है। यहाँ एक जिनमन्दिर है । मूलनायक आदिनाथ भगवान् है। अन्य धातु की मूर्तियाँ भी है। धर्मदेवी आदि शासन देवताओं की मूर्तियाँ हैं । ब्रह्मदेव मन्दिर है। श्रावक-श्राविकाओं में धर्म के प्रति अभिरुचि कम है अतः यहाँ प्रचार की जरूरत है।
तच्चांबाडी :- यहाँ एक जैन मन्दिर है । वन्दवासी से ३५ कि. मी. की दूरी पर है। जैनों के २० घर हैं । यहाँ पढ़े-लिखे विद्वान् लोग रहते थे । मन्दिर के मूलनायक भगवान् महावीर स्वामी है। अन्य धातु की प्रतिमायें हैं शासन देवताओं की भी प्रतिमायें हैं । मन्दिर के सामने मानस्तंभ और ध्वजस्तम्भ है । पीछे की ओर एक मुनिराज की २५०० वर्ष प्राचीन चरणपादुका है। विशाल सभा मण्डप है । मन्दिर सुन्दर एवं सुरक्षित है।
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