Book Title: Tamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Author(s): Bharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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के सिवाय अन्य लोग नहीं रहते हैं। यह पाँच गाँवों का एक ही मन्दिर था। अब लोगों ने अपने-अपने गॉव में मन्दिर बनवा लिये हैं । यहीं से तीन मठाधीश हो चूके हैं। यहाॅ पर जैनों के करीब ५० घर है। यहाॅ मूलनायक आदिनाथ भगवान् है। अन्य धातु एवं शासन देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं । महासभा की सहायता से कुछ जीर्णोद्धार हुआ था परन्तु काम पूरा नहीं हुआ है। मानस्तम्भ है जिसमें भगवान् की मूर्तियाँ बनी हुई हैं । जीर्णोद्धार की आवश्यकता है ।
एलंगाड
(अतिशय क्षेत्र) यहाँ एक जिनालय है। मूलनायक आदिनाथ प्रभु है । श्रीनेमिनाथ भगवान् की मूर्ति भी है । यह चमत्कारी प्रतिमा है । इसकी ऊँचाई ८ फुट है और चौड़ाई ४ फुट है । यह धातु की है । अन्य मूर्तियाँ भी धातु की है। यहाॅ २५ जैनों के घर है। श्रद्धा-भक्ति काफी है । जीर्णोद्धार की आवश्यकता है ।
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वंगारम :यहाँ एक जिनमन्दिर है । मूलनायक श्रीआदिनाथ भगवान् है । यह वन्दवासी से ५ कि.मी. पर है । यहाँ करीब ४० श्रावकों के घर है । यह गॉव पोन्नूरमलै से ३ कि.मी. पर है I यहाॅ का मन्दिर प्राचीन है । गोपुर जीर्ण हो गया है । अन्य धातु की प्रतिमायें हैं । शासन देवताओं की मूर्तियॉ है । श्रावक लोगों की भक्ति भावना जागृत है । कुछ जीर्णोद्धार हुआ है और भी होना है, कार्य अपूर्ण है।
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सात्तमंगलम् :- यह वन्दवासी से ३ कि.मी. पर है। यहाॅ श्रावकों के करीब ६० घर है I चन्द्रप्रभ भगवान् का जिनमन्दिर है । यह बहुत प्राचीन है । ऊँचा मानस्तम्भ है। एक ही पत्थर से निर्मित है । मन्दिर की दशा अच्छी है। कुछ जीर्णोद्धार हुआ है किन्तु अधूरा है, पूरा होना आवश्यक है । अन्य धातु की प्रतिमायें भी है। यहाॅ के श्रावकों में श्रद्धा-भक्ति कम है। नवयुवकों में तो बहुत कम है । जीर्णोद्धार की बड़ी आवश्यकता है । धर्म प्रचार की भी बड़ी आवश्यकता है । नवयुवक धर्म से अलग होते जा रहे हैं। उन्हें सुधारने की जरूरत है । गाँव की परिस्थिति साधारण है 1
गूडलूर :- यह एक छोटा सा गाँव हैं। यहाॅ श्री कुंथुनाथ भगवान् का जिनालय है । अत्यन्त विशाल मानस्तम्भ है । सभामण्डप है । पद्मावती देवी की प्रतिमा चिताकर्षक है । अन्य धातु की प्रतिमायें है । यक्ष-यक्षियों की मूर्तियां हैं । कुन्दकुन्द महाराज की चरण पादुकायें है । मन्दिर का गोपुर कलापूर्ण है परन्तु शिथिल है। जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। मन्दिर की हालत ठीक नहीं है। यहाँ श्रावकों के ३० घर है । यहाँ के लोग जिन धर्म में अभिरुचि रखते हैं। कोल्हापुर के वर्तमान भट्टारक श्रीलक्ष्मीसेन भट्टाचार्य की यही जन्म-भूमि है । यह विद्वानों की नगरी रही है। हजारों वर्ष प्राचीन है ।
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