Book Title: Tamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Author(s): Bharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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तिरक्कोयिल :- (अतिशय क्षेत्र) यह पोन्नूरमले से ५ कि. मी. की दूरी पर है। यहाँ एक छोटा सा पहाड़ है। पहाड़ के ऊपर एक मन्दिर था जो पूरा ढह चूका है अतः मन्दिर की मूर्तियों को एक कोठरी में विराजमान किया गया है जिससे एक छोटा सा मन्दिर तैयार हुआ है । मूलनायक आदिनाथ भगवान् हैं । धातु की प्रतिमायें भी हैं । पूजा की व्यवस्था ठीक नहीं है, चार जैन परिवार है। स्थान अत्यन्त सुरम्य है, मन्दिर के पीछे जो चट्टान है उसमें बाहुबली स्वामी का बिम्ब उत्कीर्ण किया हुआ है । तलहटी में एक चट्टान के चारों ओर महावीर भगवान् ,आदिनाथ भगवान्, पार्श्वनाथ भगवान् तथा चन्द्रप्रभ भगवान्- इन चारों की पद्मासन मूर्तियाँ उत्कीर्ण है। यह बहुत पूराना मन्दिर है । महासभा की तरफ से मूलनायक आदिनाथ भगवान् की मूर्ति प्रतिष्ठा कराई गई है। वह विराजमान की गई है। तीर्थ क्षेत्र कमेटी ने भी इस क्षेत्र की सहायता की है। इस क्षेत्र में जीर्णोद्धार की आवश्यकता है ।
वेण्कुन्टं :- वन्दवासी के उत्तर में ३ कि. मी. पर है । यहाँ एक जैन मन्दिर है, ३५ दिगम्बर जैनों के घर है। यहाँ के मन्दिर के मूलनायक भगवान् पार्श्वनाथ है अन्य कई धातु की मूर्तियाँ हैं । दायीं ओर धर्मदेवी का मन्दिर है । मन्दिर के सामने मण्डप में वृषभनाथ भगवान् की मूर्ति हैं जिसे 'मलैबिम्ब-वर्षाकालबिम्ब' कहकर पूजते हैं । मुख्य द्वार के सामने एक वेदी है। उसका मूलनायक चन्द्रप्रभु भगवान् हैं। धातु की मूर्तियाँ भी है। एक सभा- मण्डप भी है। यह विशाल मन्दिर दर्शनीय है । व्यवस्था अच्छी है । लोग धर्मप्रेमी है । यह चोल राज्य के समय से निर्मित है । बहुत पूराना हैं ।
साऊथ आर्काड जिला तिरुप्पापुलियूर :- (पाटलीपुर) के नाम से प्रसिद्ध था । यह साऊथ आर्काड जिले में
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