Book Title: Tamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Author(s): Bharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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प्रतिमायें दो पंक्ति में उत्कीर्ण है । यह जमीन से दस फुट ऊँचाई पर है। इसलिये दुष्ट लोग इसे तोड़ नहीं पाये । वे मूर्तियाँ सौम्य एवं मनोज्ञ हैं । इसे देखने से ऐसा लगता है कि वे अभी अभी बनवायी गई हो । इस स्थान पर चन्द्रकीर्ति उपाध्याय एवं इलैय भट्टारक- इन दो साधु-महात्माओं ने ५७ व ३० दिन का उपवास किया था । यह तपोभूति है । इस बात को यहाॅ का शासन बतलाता है कि यह महत्वपूर्ण स्थान है । यहाॅ एक गुफा है। एकान्त स्थान है । साधुओं के लिये अनुकूल स्थान है । यहाँ का शासन बहुत ही प्राचीन है । इसे ईस्वी तीसरी सदी का बतलाते हैं ।
जिंजी :- यह भी एक छोटा सा शहर है। इसके एक कोने में जैनों का निवास स्थान है । जैनों के करीब १५ घर है। एक छोटा सा चैत्यालय है। पूजा आदि की व्यवस्था है। यहाॅ धर्म के प्रति अभिरुचि एवं जाग्रति कराने की बड़ी आवश्यकता है । तिण्डीवनम से ३० कि.मी. दूरी पर है ।
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मेलचित्तामूर :- इस गाँव में भगवान् मल्लिनाथ का पुरातन मन्दिर है । उसमें एक ही चट्टान पर मल्लिनाथ भगवान्, पार्श्वनाथ भगवान्, महावीर स्वामी और बाहुबली स्वामी की प्रतिमायें उत्कीर्ण है । बगल में कुष्मांडिनी देवी है। एक जैन मठ भी है । यहीं तामिलनाडु में जैनों का एकमात्र मठ है । पहले यह काजीवरम् में था। न जाने वहॉ से यहाॅ कैसे आ गया ? मैलापुर के नेमिनाथ भगवान् को यहाँ लाकर विराजमान किया गया है । यहाँ के मन्दिरों में कुछ शिलाशासन उपलब्ध है । तिण्डीवनम् से २० कि.मी. दूरी पर है ।
यहाॅ के मठ में मठाधीश रहते हैं। धार्मिक संस्कार डालना, धर्म का प्रचार करना - इनके हाथ में है । मठ का बहुत बड़ा भवन है । समाज का सुधार, देखरेख आदि ये ही करते हैं । इनका नाम
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