Book Title: Tamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Author(s): Bharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
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पोन्नूर ग्राम :- यह लगभग २००० वर्ष पूराना प्रसिद्ध नगर है। यह सुप्रसिद्ध जैनाचार्य कुन्दकुन्द स्वामी की तपोभूमि के रूप में मान्यता प्राप्त है । यहाँ से २ किलोमीटर की दूरी पर पोन्नूरमलै (पर्वत) स्थित है, वस्तुतः पोन्नूर गाँव और पोन्नूर पर्वत कभी एक ही थे, धीरे-धीरे दूरी बढी
और अलग-अलग नाम हो गये । इस गाँव में प्रसिद्ध आदिनाथ जिनालय है। इसे कनकागिरि भी कहा जाता है। मंदिर के सामने मानस्तम्भ है। मंदिर में शताधिक धातु निर्मित मूर्तियां है । सभा मंडप है । यहाँ एक पाठशाला है। सभी जैन परिवार श्रद्धालु एवं संगठित है । यहाँ सब कुछ व्यवस्थित है। यह वन्दवासी से ६ कि. मी. दूरी पर है। पहले के जमाने में इसका नाम 'अलगिय सोल नल्लूर' था। वर्तमान में यह जैनों के मुख्य गाँवों में एक है। यहाँ पर जैनों के ६० घर है। यहाँ आदिनाथ प्रभु का जिनमंदिर है । पोन्नूर को स्वर्णपुरी भी कहते हैं । कुन्दकुन्द आचार्य महाराज की यह तपोभूमि कही जाती है । मंदिर सुव्यवस्थित है। फिलहाल पंचकल्याण प्रतिष्ठा भी हुई थी। मंदिर के सामने मानस्तम्भ है । शासन देवताओं का मंन्दिर भी है । मन्दिर में पचासों धातु की मूर्तियाँ हैं । पास में सभा मण्डप है । परिक्रमा के दाहिनी ओर नवीन चरण पादुका स्थापित है । श्रावक-श्राविकाओं की भक्ति है।
पोन्नूरमलै :- अतिशय क्षेत्र-तपोभूमि-कर्मभूमि-यह वन्दवासी से पश्चिम की ओर ६ किलोमीटर दूरी पर है । बस सुविधा है । इसके चारों ओर सुरक्षित वनस्थली है । नीचे अच्छी धर्मशाला है और कुन्दकुन्द विद्यापीठ है । कुन्दकुन्दाश्रम भी है। इसमें एक मन्दिर है और पाँच वेदियाँ हैं । वेदियों में पाषाण एवं धातु की मूर्तियाँ हैं किन्तु यहाँ जैनियों के घर नहीं है। मन्दिर के अन्दर एक ओर सुन्दर नन्दीश्वर द्वीप की रचना है एवं बाहर एक सुन्दर नवनिर्मित समवसरण मन्दिर भी है ।
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