Book Title: Tamilnadu Digambar Tirthkshetra Sandarshan
Author(s): Bharatvarshiya Digambar Jain Mahasabha Chennai
Publisher: Bharat Varshiya Digambar Jain Mahasabha
View full book text
________________
करीब ५-६ लाख रुपये के खर्च से इन मंदिरों का जीर्णोद्धार हुआ है। मंदिर सुरक्षित हो गये हैं । जीर्णोद्धार कार्य में महासभा का सहयोग काफी रहा है। चेन्नई जैन समाज की पूर्ण सहायता मिली है।
इसकी पंचकल्याण प्रतिष्ठा पूज्या आर्यिका श्री १०५ सुभूषणमति माताजी , श्री १०५ सुप्रकाशमति माताजी के सत् प्रयत्न से (२८.२.६१ से ४.३.६१ में) बड़ी धूमधाम के साथ संपूर्ण हुई थी। यहाँ हर साल फाल्गुन मास में दस दिन का ब्रह्मोत्सव चलता है। जैन लोग शामिल होकर शोभा बढ़ाते हैं । यह दर्शन करने योग्य पवित्र स्थल है ।
आरणी क्षेत्र-संभाग (नॉर्थ आर्काट जिला) इस तीर्थ क्षेत्र चक्र में लगभग १५ गॉवों में प्राचीन जिनालय हैं । यह क्षेत्र वन्दवासी क्षेत्र से ३५ किलोमीटर की दूरी पर है। इस क्षेत्र के अत्यन्त विख्यात जिनालयों का विवरण प्रस्तुत है
पूण्डी (अतिशय क्षेत्र) :- आरणी क्षेत्र की गोद में सघन अमराई और धान के विशाल खेतों से घिरा हुआ यह सुरम्य तीर्थ स्थल है । जनश्रुति है कि राजा नन्दिवर्मन ने इस ७ परकोटे वाले क्षेत्र का निर्माण कराया था। प्रथम ही आदीश्वर मंदिर है। चन्द्रप्रभु जिनालय और ज्वालामालिनी देवी की भव्य प्रतिमाएं है। पार्श्वनाथ मंदिर और अनेक देवियों के बिम्ब हैं । अनेक धातुमयी प्रतिमाएँ हैं ।
जनश्रुति है कि यहाँ भगवान् आदिनाथ की मूर्ति भूगर्भ से निकली है, निकालते समय भगवान् की प्रतिमा को चोट लग गयी। सम्बद्ध व्यक्ति अन्धा हो गया। उसे स्वप्न में आदेश मिला । सावधानी से
53
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org