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श्रज
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राव सीहाजी का सबसे छोटा पुत्र और सोनग का छोटा भाई था । अज ने अपनी सेना सहित द्वारिका की यात्रा की, वहाँ पहुँचने पर शंखोद्धार के चावड़ा राजा ने इसका बहुत स्वागत किया और अमूल्य वस्तुएँ भेंट कीं ।
जौ ( श्रर्जुन गौड़ ) -
यह मारोठ के स्वामी विठ्ठलदास गौड़ का पुत्र था और बादशाह शाहजहाँ के प्रमुख दरबारियों में था । वि. सं. १७०१९ में राव अमरसिंह राठौड़ ने बादशाह के प्रमुख 'दरबारी सलावत खाँ को अपशब्द कहने पर आम दरबार में कटार से मार डाला। उसी समय अर्जुन गौड़ ने तथा अन्य व्यक्तियों ने अमरसिंह पर आक्रमण कर उसे मार दिया किन्तु अमरसिंह ने भी वार कर के इसका कान काट लिया । धरमत के युद्ध में महाराजा जसवन्तसिंह के साथ रह कर इसने अपने अतुल शौर्य का परिचय दिया और वीरता के साथ युद्ध करता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ ।
अनोपसिंह (भण्डारी अनोपसिंह ) -
यह राय भण्डारी रघुनाथसिंह का पुत्र था । यह बड़ा बहादुर, रण-कुशल तथा नीतिज्ञ था । संवत् १७६७ में महाराजा अजीतसिंह द्वारा जोधपुर का हाकिम नियुक्त किया गया। उस समय हाकिम पर सिविल और मिलिटरी (Civil and Military) दोनों कामों का उत्तरदायित्त्व रहता था, जिसको इसने पूरी तरह से निभाया । वि.सं. १७७२ में इसको नागौर का मनसब मिला, तब महाराज ने इसको व मेड़ते हाकिम भण्डारी पेमसिंह को नागौर पर अमल करने के लिये भेजा। राठौड़ इन्द्रसिंह दोनों हाकिमों का मुकाबिला करने के लिये आगे बढ़ा | घमासान युद्ध हुआ । फलस्वरूप इन्द्रसिंह की फौज भाग गई और भण्डारी अनोपसिंह की विजय हुई । इन्द्रसिंह को अब नागौर खाली कर बादशाह के पास दिल्ली जाना पड़ा । वि.सं. १७७६ में फर्रुखशियर के मारे जाने के बाद फौज के साथ अहमदाबाद भी इसको भेजा था । वहाँ भी इसने बड़ी बहादुरी दिखाई थी ।
अफगान खां
यह बादशाह मुहम्मद शाह की राज्य सभा के अमीर-उमरावों में था। इसके पूर्व शाही सेना का सेनापति था । मुगल साम्राज्य के शत्रुओंों का दमन करने के लिये यह अनेक युद्धों में भाग ले चुका था । नादिरशाह के आक्रमण के समय
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