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डीडवाना
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"डीडवाना -- - यह डीडवाने परगने का मुख्य नगर है। चित्तौड़ के कीर्तिस्तम्भ से ज्ञात होता है कि यह प्रदेश महाराणा कुम्भा के प्राधीन था और वह यहाँ की नमक की झील व खानों से कर लिया करता था । यह नगर उत्तर रेलवे का रेलवे स्टेशन है। यहाँ के प्राचीन और नवीन मन्दिर व हवेलियां देखने योग्य हैं।
डूंगरपुर यह नगर भूतपूर्व डूंगरपुर राज्य की राजधानी था, जो कि २३°२५" उत्तर अक्षांश और ७३०४०" पूर्व देशान्तर पर स्थित है । इसकी उत्तरी सीमा मेवाड़ और माही नदी से मिलती है । यह नगर चारों ओर पहाड़ियों से ढका है जिस पर कि प्राचीन काल में मेरों का अधिकार था। इन मेरों के स्वामी डूगरिया मेर को मार कर रावल करण के बेटे माहप ने अपना अधिकार कर डूंगरपुर नगर बसाया । इस नगर को बसाने में राहप ने भी सहायता दी थी, यह मेवाड़ की ख्यातों से प्रमाणित होता है।
ढंढाड़ * · ढूढाड़ जयपुर राज्य का प्राचीन नाम है । इसके विषय में कई कल्पनाएँ की गई हैं। हिन्दी विश्व कोश के अनुसार गलता के ढुंढुं दैत्य से ढूंढाड़ विख्यात है।' टाड साहब के अनुसार जोबनेर के एक प्रसिद्ध शिखर ढूढ़ पर चौहान राजा बीसळदेव ने दैत्य रूप में तपस्या की थी तब से ढूढाड़ विख्यात हुआ है ।। जयपुर से १५ मील उत्तर में अचरौल के पास की पहाड़ियों से ढूंढ़ नदी निकलती है । अतः सम्भवतः इस नदी के नाम पर राज्य का नाम ढूंढाड़ हुआ हो ।३ जयपुर के समीप ढूढ़ नाम की एक बस्ती है और उसी के समीप आमेर के पर्वत का एक अति उच्च शिखर ढुढाकृति में दृष्टिगोचर होता है, इस कारण से भी आमेर राज्य ढूंढाड़ के नाम से विख्यात हो सकता है ।
तारागढ़
- यह इतिहास-प्रसिद्ध दुर्ग राजस्थान के अरावली पर्वतश्रेणी की तारागढ़ नामक पहाड़ी पर स्थित है । इसी पहाड़ी की तलहटी में अजमेर नगर बसा हुआ है। कहते हैं कि इस दुर्ग का निर्माण छठी शताब्दी में महाराजा अजयपाल चौहान ने किया था। यह सुदृढ़ और सुरम्य दुर्ग जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह के अधिकार में भी रहा था। मुगलकाल में यह मुगलों के अधिकार में और बाद में अंग्रेजों के अधिकार में चला गया। इस समय यह दुर्ग भारत सरकार के अधिकार में है।
फारस के उत्तर पूर्व में पाया हुआ मध्य एशिया का भू-भाग जो तुर्क, तातारी, मुगल मादि जातियों का निवास-स्थान है।
१ हिन्दी विश्वकोश, पृष्ठ ६३
२ टाड् राजस्थान, पृष्ठ ५६० . ३ वीर-विनोद, भाग २ पृष्ठ १२५० .४ जयपुर का इतिहास, भाग १, पृष्ठ १३, ई० सन् १९३७, हनुमान शर्मा
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