Book Title: Surajprakas Part 03
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 467
________________ [ ८३ ] पुराणों के अनुसार इक्ष्वाकु वंश सुमित्र से समाप्त हो जाता है । उसके प्रागे वंशवृक्ष निम्न प्रकार चलता है 1 . नैणसी की ख्यात बीकानेर का शिलालेख सं० १६५० प्राचीन ख्यात सं० १७२५ वपुल ननपाल सीतुंग भरत प्राचीन ख्यात सं० १७१५ पपुल्ली नरपाल सेतुंग भरत पंज तुंगनाथ भरत पंजराज बंभ बंभ बंभ तुंगनाथ भरत पुंजराज बंभ अजेय चंद्र अभड यश्व विजयचंद्र जयचंद्र अचंद्र अभैचंद विचंद जैचंद अभयचंद विजयचंद जयचंद अभचंद उदैचंद नरपति कनकसेन सहजसेत (सेन) मेधसेन वीरभद्र देवसेन विमलसेन दानसेन मुकुंदसेन भूधरसेन राजसेन थिरपाल श्रीपुंज वरदाईसेन सेतराम वरदायीसेन सीतराम सीह वरदाईसेन सेतराम सीहो वरदाईसेन सेतराम सीहो सीहो आसथान ग्रासथान प्रासथान nagens १ उपर्युक्त वंशवृक्ष का संबंध दान-पत्रों से मिलने वाले शुद्ध वंशवृक्ष से जोड़ने के साथ दिया गया है । यहां से आगे महाराजा अभयसिंह व महाराजकुमार रामसिंह तक का वंशवृक्ष दान-पत्रों के अनुसार है जो शुद्ध माना जाता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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