Book Title: Surajprakas Part 03
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 462
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org अंबरीष ७क (३|१| ) यौवनाश्व 1 हरित ७क ( ३।१) कृशाश्व ७क (३२) अक्षयाव ( रानी हैमवती ) ७क (३) निकुम्भ संहताश्व ( बहुलाश्व ) देवमीढ़ विबुध (विश्रुत) महाधृति कृतिरात महारोमा स्वर्णरोमा पुरुकुत्स ( नर्मदा ) मुचकुंद ५० कन्या ( सौभरि ) | ७क (३|१|श्रा) ७क ( ३।१।३) ७क (३|१|ई) ह्रस्वरोमा प्रसेनजित (सेनजित ) I युवनाश्व ( रानी गौरी ) (बिंदुमती) मान्धाता ( बिंदुमती ) त्रसदस्यु 1 संभूत T हारीता: * उत्तर-पूर्व एशिया में साइबेरिया के राजागरण । अनरण्य ७६ प्रतीपक (प्रतीक) T कृतिरथ १५० सौभरेया + सीरध्वज (जनक) - कुशध्वज धर्मध्वज १० 1 बन्धुमान् ( धुंधुमान ) T वेगवत् I बुध ( बंधु) 1 तृणाबदु (अलंबुषा अप्सरा ) विश्रवस् विशाल हेमचन्द्र | सुचन्द्र 1 धूम्राक्ष सृजय (संयम ) सहदव कृशाश्व [ ७८ ]

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