Book Title: Surajprakas Part 03
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 442
________________ [ ५८ . ] पर अधिकार करने के लिये आक्रमण किया किन्तु बीच में ही लौटना पड़ा परन्तु उनके पुत्र प्रासथान ने खेड़ पर अधिकार कर के इसको अपनी राजधानी बनाया । खेतड़ी यह जयपुर राज्य के एक बड़े जागीरदार के ठिकाने की राजधानी का नगर है। यहाँ पहाड़ी पर एक किला है । यहाँ की पहाड़ी में तांबे की खानें हैं। चाटसू यह जयपुर राज्य का एक कस्बा है। यहाँ पर डूंगरी-शेलर माता का बड़ा मेला लगता है। चित्तौड़गढ़ यह दुर्ग पहाड़ी पर बना हुआ है जो समुद्र की सतह से १८५० फुट ऊँचा है। इसकी लम्बाई लगभग साढे तीन मील और चौड़ाई करीब आधा मील है । यह अति प्राचीन दुर्ग है । इसको मौर्यवंशी राजा चित्रांगद ने बनवाया था। मौर्यों के बाद विक्रम की आठवीं शताब्दी के अंत में गुहिलवंशीय राजा बाप्पा रावल ने अंतिम मौर्यवंशी राजा मान से छीन लिया था। यह अनेकों बार बसा और उजड़ा है। इस पर कुछ समय तक मालवे के परमारों तथा गुजरात के सोलंकियों व मुसलमानों का आधिपत्य भी रहा है । महाराणा उदयसिंह के समय वि० सं० १६२४ तक यह मेवाड़ की राजधानी भी रहा है । जयपुर राजस्थान का प्रसिद्ध नगर जयपुर जो २६°५६ उत्तर अक्षांश तथा ७५°५८ पूर्व देशान्तर पर स्थित है। इस नगर को महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने वि० सं० १७८४ पोष वदि १ बुधवार को बसाया था। इसके पूर्व इस राज्य की राजधानी अांबेर थी जो वर्तमान राजधानी से ७ मील दूर पहाड़ियों से घिरा हुआ है। जयपुर नगर अपनी सुन्दरता और बनावट के लिये भारत भर में प्रसिद्ध है, अत: यह भारत का पेरिस कहलाता है । वर्तमान जयपुर समस्त राजस्थान की राजधानी है । आबादी के लिहाज से यह नगर राजस्थान में सर्व प्रथम है। जहाजपुर यह अति प्राचीन स्थान है । लोगों का कथन है कि जनमेजय का नागयज्ञ यहीं हुआ था, अत: इसका नाम यज्ञपुर हुआ और उसका अपभ्रंश जहाजपुर है। नागेला तालाब और नागदी नदी उस यज्ञ की परिचायिका है । जहाजपुर के इर्दगिर्द अनेकों प्राचीन स्थान हैं, जहाँ चौहानों के शिलालेख मिलते हैं। धौड़ गांव के रूठी राणी के मन्दिर के वि० सं० १२२५ के लेख में पृथ्वीराज की राणी का नाम सुहवदेवी लिखा है जो रूठी राणी के नाम से प्रसिद्ध है। इसके अलावा भी वि० सं० १२२८ और १२२६ के शिलालेख हैं। इस कस्बे के लोहारी व प्रांवलदा गांवों में वि० सं० १२११ और १२३४ का चौहान राजा वीसलदेव और सोमेश्वरदेव के राज्यकाल के शिलालेख मिले हैं, जिनमें सिंदराज और जेहड़ की मृत्यु का उल्लेख है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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