Book Title: Surajprakas Part 03
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
View full book text
________________
छंद का नाम
त्रोटक
[ २८ ]
प्रथम पंक्ति
झड़ प्रौड़ सूत दिये झटकां
भट खाग रमै घट सीस झड़े
भट वीजळ मूगळ, सीस पड़े
झळ क्रोध 'लखावत' क्रोध झलां
तद धारि सिंहांणिय रोस धतौ
तदि वाहत खाग भुलाल तनां
तप तेज खगां जिम भांण तण
तप दीसत सूरज व्रन तण तरवार वह असवार तठे तुरकां खग घाव श्रजंबा तणौ
तुरकोण हणं खग थर्ट 'जोर' तण
थट मेछ करें धर पाथरण
दळ रौद विभाड़त 'पीथ' दुश्रौ
दहड़े खगि मेछ हां दखतौ gaड़i 'हथवाहत' पाव विढे दुति 'ईसर' दोंढियदार दळां
धख ववसींघ सुजाव धरे थड़छे खळ खाग गजां घखतौ
धड़ खल वीजल काट धजां
घड़ धार लुहा घर
धज साबळ वाहत मेछ वहै
धर धावक सोस धम धमिया
घर घूजत सीस धरा - घरनौ
घुवि धीर 'दलावत' सार धजां
'नरमेछ' खपंत पडत नहीं नरलोक श्रखं जस कीध नरां निजड़ां जड़के जरवंत भौं पछटे खग चाढत देवपुरा पछ खग मूगळ सोस पड़े पछटै खग सिलह पोस पढ़े
पछटे खग हेमर तूट पड़े पछ वरसींघ तौ प्रघळ पाड़तो पहुंती जवनां प्रचंडा पिंड चौसर धार परी परणी
पिंड पूर 'पतावत' सूर पणी
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
पृ०
प्रकरण पद्यांक
२३१
७ ८३४
२११
७
७५६
२२८ ७
८२३
२२४
७
८०७
२३३
८४२
२२२
७६६
२१२
७६३
७७१
७१२
८१८
७८५
७६६
७६५
७५६
७५२
૬૪૪
२०४
२३०
२११
२२१
२३१
२२६
७
७
७
२१४
७
१६६
७
२२७
७
२१८
७
२१३
७
२१३
७
२१०
७
२०६ ७
२३४
७
८२२
२२५ ७ २२३ ७
८०३
२०७ ७ ७४२
१६६ ७
७१४
२१५
७
७७२
१९६
७ ७०३
२१७
૭
७८०
२२७
७ ८६
२२६ ७
८०७
२०३
७
७२७
२१६
७ ७७६
२१५ ७
२१६
७
७
७
७
७
७
७
७७५
७८६
७३१
८३०
७५८
७६७
८३५
Ex
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/e817eb7f5c6e55e69de3845b7f43b0c05e3108c0b85566f343ac02366ea38b24.jpg)
Page Navigation
1 ... 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472