Book Title: Surajprakas Part 03
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 419
________________ [ ३५ ] छंद का नाम प्रथम पंक्ति मोतीवाम पृ० १७६ ६६ प्रकरण पद्यांक ७ ६२९ ७ ३२५ ५८८ 6 6 6 ६१ ६६७ २२१ ५३३ ५८३ १८२ ५६३ ५१३ ३३२ २३३ ८२७ २७२ १४५ 6 6 6 6 १७२ 6 6 ५५८ ३८४ 6 कटे सिर खूर जुट धड़ केक 'कन्हावत' 'पेम' रमै खग क्रोध कर उवराव दुसार कटार करै करिमाळ झटांपति काम कर रुग झाट हण किलमांण कर जुध 'भाखर' री महिन्न' कर घजवाह वा कड़कंत कर सुध तीरथ वीर करक करा 'सुभ साह' वहै किरमाल 'कलायरण' बीच लड़त करूर 'कलावत' लोह करे कलिचाळ 'कलो' सिवदान तगौ कलभूळ कसीसत टंक प्रहार कबाण कसोसत बाण जुबांण कबाण कहै वद प्राय खळां दळ काप किलम्मक थाट हर्ष किरमाळ किलम्मक थाट हण लग कोप कितां भड़ सीस पड़े भड़ केक कुंभाथळ वेधि कढ धज कूत खगां झट 'नाहर' 'नंद' 'खगेस' खगां झट बाहत रौद्रव खर खगां झट देत गजा सिरि स्वीज खड़े असि 'सेर' दिसी चढि खांग बड़े हंस 'भोम' पड़े कटि खान खत्तां अंग तीर फरक्कि पंखार खळक्कत घाट बहै रतखाळ खळा दळ भूक कर भल खंड खहै 'प्रजबाबत' “साहि बखान' खहै 'खड़गेस' तणो 'रघु' खोज खहै 'जसकेन्न तणो 'खड़गेस' खत्री गुर खाप हुता खळकाप खासा गज खांन तना सिर खीज खुट जरदैत निकै इम खाति खेगवक उचक्क खाटक्क खणक्क गई कि क्रोध झळाहळ जागि 6 २१४ १५४ 6 6 ३०६ 6 ११६ 6 ८० 6 २७० 6 १२७ 6 ४४२ १२३ ४२६ २४३ २३२ १०२ ३४८ १८७ ४८ १२४ ७ ८ ७ ६६६ १४५ ४३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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