Book Title: Surajprakas Part 03
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 420
________________ [ ३६ ] छंद का नाम प्रथम पंक्ति पृ० प्रकरण पद्यांक मोतीदाम १७८ ७ ६३८ १८४ ७ ६५९ १९३७ ६६३ १७७ ६३२ 6 6 ५२ . १०२ ११२ १५८ ३४६ ३८५ 6 6 6 6 १३७ ४८१ २६१ १५६ १०८ १६३ 6 6 6 6 6 6 6 6 6 ७ ५८० ॥ ५ गडीर तुरंग छिबै भुजगैरण गहम्मह सूर धुबै गज गाह गाढा गुर गूजर रोस गरूर गाढां मुर 'खोम' हरो गज साह गाहै नर हैमर गंमर गाहि घडच्छत फांक उड़े खळधूठ घटामिळि फौज त्रंबागळ घोर घड़ी दुय एम करै घमसांण घणा खळ पाड़ि पड़े घमसांण घणा खळ थाट सिर खरा घाव घणा धड़ पहथ सोभत घाव घणा रत डूब फटा खिळ घाट घणू खग झाट कर झळ घांम घमोड़त मुग्गळ सावळ धाय घमोहत सेल गजां परि घाव घमोड़त सेल सिल बंध धोंग 'घासी' सुत पौरस ग्रीखम धाम चका खट झाट हणे चमराळ चका चमराळ कर खगचूर चढे खळ ही क तुरी उर चोट चढे रथ नेह 'हठी' वर चाहि चलै मदमत्त पटाझर चाल चल सर बेधि सिले घट चोळ चहूंदळ मेछ कर खग चोट 'चभुज' 'चंद' तणौ विरचाळ चांपावत एम लड़े किळचाळ चावा खळ मुगळ भांजि अछंग 'चौड़ा' हर ताम करै चख चोळ 'चौळावत' मीर झटा खग चौज चौड़ा मझि पाय वधे छक चाहि चौथे दिन खाग झळां कळि चाळ छड़ा झलि वाह करै छड़ियाळ छळ दिखणी दळ पोरस बांधि छौगो सिर सोनहरो छवगाळ जई खग वाढत खांन 'जवांन' १५४ ३२० ६५८ ४८० १०६ ३७३ 6 6 १०० 6 6 6 ७ ३६५ ३४१ ३६ १५६ ~ ७१ ७ २२६ २०६ १६३ ५३ ७ ur ६४ ७ २०१ २५५ २५७ 6 6 6 6 6 ७८ १२७ २६८ ७ ४४५ 6 ११८ ७ ४०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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