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सूरजप्रकास
- [१०५ वि' रिण' वीच' जवांनिय वेस । तठे हरनाथ तणौ' 'सगतेस' ॥ ३५६ तठे 'हठमाल' 'किसोर' सुतन्न" * । केवी खग झाटत 'आसकरन्न । जुटै खग झाट 'हठी' जिणवार । 'हठी' सिर वाजत" खाग हजार ॥ ३५७ 'जोगावत' धार धसंत११ 'जवांन१२ । सझै जिम तापस गंग सिनांन । उडै ५ जरदैत वज'। खग एम ।
जई मझि फज्जर" गज्जर' जेम ।। ३५८ १ ख. बिड़े । ग. वढ्। २ ख. रण। ३ ख. ग. बोच । ४ ख. ग. जवांनीय। ५ ख. बेस। ६ ग. तणो। ७ ख. सुतंन्न । ग. सुतंन । *यहांसे आगे ख. तथा ग. प्रतियोंमें निम्न पंक्तियां मिली हैं
'मिले झड लोह षगां वड मन ।। वरा छक जुटत घाट वराड़।
अनौ हरनाथ तरणो अवनाड ।' नोट - ख. प्रति में यहांसे आगेकी पंक्तियां वे हैं जिनका पाठान्तर पृष्ठ १०२ में दिया जा चुका
है । उन पंक्तियोंके अतिरिक्त भी इस ख. प्रतिमें उनसे आगे कुछ पंक्तियां और मिली हैं जो निम्न हैं किन्तु ये सब ग. प्रतिमें नहीं मिली हैं। ग. प्रतिमें जो मिली थीं उनका पाठान्तर पृष्ठ १०२ पर दिया जा चुका है, वहां पर ये पंक्तियां ख. प्रतिमें नहीं मिली थीं किन्त यहाँ पर ख. प्रतिमें वे ही पंक्तियां मिल गई हैं। इनके अतिरिक्त ख. प्रतिमें कुछ और पंक्तियां यहाँ पर मिली हैं जो ग. प्रतिमें यहां पर नहीं हैं, वे निम्न हैं____ 'रूको झट हीक पाडे पषरत । जिकै असि पाप चढ़े करि जैत ।।
बषांणत भाग 'निषे' गज वोह । 'अनौ' हरनाथ तणौ अंगि लोह ।' ८ ग. झाड़त । यहां पर इससे पहले इस पंक्तिके ऊपर ख. तथा ग. प्रतियोंमें निम्न पंक्ति मिली है
'तठ 'विरतो' चंद्रभाग सुतंन्न ।' ६ ख. जुई। १० ख. बाजत । ११ ग. धासत । १२ ख. जघान । १३ ख. ग. सझे । १४ ख. ग. सनांन । १५ ख. उठ। १६ ख. बजै । १७ ग. फजर । १८ ग. गझर ।
३५६. जवांनिय वेस - युवावस्था। सगतेस - शक्तिसिंह । ३५७. हठमाल - हठीसिंह । किसोर - किशोरसिंह । सुतन -पुत्र । केवी- शत्रु । हठी -
हठीसिंह। ३५८. जोगावत - जोगसिंहका वंशज पुत्र । धार "जवान - जोगसिंहका वंशज जवानसिंह जब
युद्ध में प्रवेश करता है। तापस- तपसी। फज्जर-प्रातःकाल । गज्जर-प्रात:काल बजने वाले घंटे पर होने वाले प्रहार, या प्रातःकाल बजने वाला घंटा ।
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