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[ ७० ] से मातमपुर्सी कर के लौट रहा था तो रास्ते में ही उसे मार डाला। यह घटना वि० सं० १७७० भाद्रपद सुदि ५ की है । मोहम्मद खां बंगस
यह बादशाह मुहम्मदशाह के विश्वासपात्र सेवकों में था। यह मालवा का गवर्नर था । यह योग्य व्यक्ति था और कुशल राजनीतिज्ञ था। निजाम के लिखने के अनुसार यह नरबदा के किनारे अपने सेनापति के साथ मरहठों का मुकाबिला करने के लिए अपनी सेना सहित प्रा डटा । जब महाराजा अजीतसिंह ने आमेर पर अधिकार कर लिया और शाही शान-शौकत से रहने लगा तो बादशाह मुहम्मदशाह ने इरादतमंद खां को शाही फौज देकर महाराजा का दमन करने भेजा। उसके साथ कई अमीरों को भी भेजा जिसमें मोहम्मद खां बंगस भी शामिल था। इसने अहमदाबाद के युद्ध में भी अपनी सेना सहित महाराजा अभयसिंह के साथ भाग लिया था। रघुनाथसिंह (भंडारी)___ यह महाराजा अजीतसिंह के शासनकाल में एक महाशक्तिशाली पुरुष हो गया है । यह दीवानगी के उच्च पद पर प्रतिष्ठित था । इसमें शासन-कुशलता और रण-चातुर्य का अद्भुत संयोग था। इसने गुजरात में महाराजा की ओर से अनेक युद्धों में भाग लिया था और बड़ी कुशलता से सेना का संचालन किया था । महाराजा अजीतसिंह ने इसको सेवाओं से प्रसन्न होकर इसे कई प्रमाणपत्र प्रदान किये थे। इसके अतिरिक्त इसने शाही दरबार में महाराजा की ओर से बड़े-बड़े कार्य किये । महाराजा अजीतसिंह को इसकी योग्यता पर बड़ा विश्वास था । इसने महाराजा की अनुपस्थिति में कुछ समय तक मारवाड़ का शासन भी किया था जो निम्न दोहे से प्रकट होता है
करोड़ा द्रव्य लुटायौ, हौदा ऊपर हाथ ।
अजौ दिली रौ पातसा, राजा तूं रघुनाथ ॥ रतनसी भण्डारी
यह महाराजा अभयसिंह के विश्वासपात्र सेनानायकों में था । यह बड़ा वीर, राजनीतिज्ञ, व्यवहारकुशल और कर्तव्यपरायण सेनापति था । मारवाड़ राज्य के हित के लिये इसने बड़े-बड़े कार्य किये । वि० सं० १७६३ में महाराजा अभयसिंह रतनसी भंडारी को गुजरात की गवर्नरी का कार्यभार सौंप कर दिल्ली चले गये थे । तब इसने बड़ी योग्यता के साथ इस कार्य को किया । इसको अनेक युद्ध करने पड़े थे । देश में चारों ओर अशान्ति छाई हुई थी।
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