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[ २ ] बादशाह मुहम्मदशाह के विश्वासपात्र सेनापतियों में था। इसके कार्यों से प्रसन्न होकर बादशाह मुहम्मद शाह ने हैदर कुलीखां को भी छः हजारी जात व सवार दो अस्पहसि अस्पह का मनसब और नासिर जंग का खिताब भी दिया और हरावल व तोपखाना का अफसर बनाया। जब हसनपुर के पास अबदुल्ला खां की फौज से मुकाबला हुआ तो हैदरकुली खां ने तोपखाने से ऐसे गोले बरसाये कि अब्दुल्लाह खां की फौज में खलबली-सी मच गई और बहुत से आदमी जान बचा कर भागे। पिछली रात तक एक लाख सवारों में से कुल सतरह अठारह हजार सवार अब्दुल्ला खां के साथ बाको रह गये। इस विजय से हैदर कुली खां का प्रभाव बढ़ गया । इसके बाद इसे जोधपुर के महाराजा अजीतसिंह पर भी चढ़ाई के लिये तैयार किया किन्तु. महाराजा अजीतसिंह ने अहमदाबाद की सूबेदारी का इस्तीफा भेज कर अजमेर को अपने कब्जे में रखा, अहमदाबाद की सूबेदारी हैदर कुलीखां को मिल गई।
जैसा कि पहले उल्लेख किया जा चुका है कि ग्रंथ में कवि महोदय ने कई पात्रों के नामों का आधा भाग अथवा उनके नामों को भिन्न-भिन्न रूपों में अंकित किया है । ग्रंथ में उनका केवल उल्लेख मात्र ही है। अतः ग्रंथ के आकार को ध्यान में रखते हुए ऐसे पात्रों का पूर्ण परिचय न दे कर केवल नामावली ही नीचे दी जाती है। सूरज प्रकास, भाग ३, में आये हुए महाराजा अभयसिंह की सेना के प्रमुख योद्धाओं को नामावली प्रखमाल अनावत १५०
अजो केहरी का पुत्र १४८ अखमाल करमसोत महोक का पुत्र १३३ अजो जगमाल का पु. १५० अख (प्रखौ) चेली १६४
अजौ सिवदांन का पु. १४८ प्रखो १४७
अजो हरिनाथ का पु. १४६ प्रखौ अरणदावत ११०
अज्जब्ब जगावत ६३ अखौ उदावत बछराज का पु. १२०
अणंद गहलोत १६१ प्रखो धनराज का . १४३
अणंद राम का पु. ११६ अखी धांधल १८६
अणंदेस हररूप का पु. ७१ अखौ प्रिथीराज का पु. १५०
अगदेस भोज का पु. १३७ अचळेस सांवळ का पु. ८९
अणदौ करणोत तेज का पु. १२७ अजबेस उदावत रूपसिंह का पु. १२८ अणदौ बारी १९५ अजबेस वैरण का पु. ६३ |
अनपाळ सांवतसाह का पु. ६५ अजबेस चौहान १५३
अनोप किसनेस का पु. ६० अजब्ब राजड़ का पु. १४६
अनोप जोधा बद्रीदास का पु. ११२ अजो करमसोत जसावत १३२ । अनोप द्वारावत १०६
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