Book Title: Sramana 1997 01
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 11
________________ ८ : श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९७ युवाचार्य महाप्रज्ञ ने भी तनाव के तीन प्रकार बताये हैं- शारीरिक तनाव, मानसिक तनाव और भावनात्मक तनाव।२४ प्रत्येक व्यक्ति इन तनावों से ग्रसित है। ये तनाव निम्न रूप हैं शारीरिक तनाव- जब व्यक्ति शारीरिक श्रम करते-करते थक जाता है तो मांसपेशियां विश्राम चाहती हैं। यदि पूर्णरूपेण विश्राम नहीं मिल पाता है तो शारीरिक तनाव उत्पन्न हो जाता है। ___ मानसिक तनाव- इसका मुख्य कारण है- अधिक चिन्तन या सोचना। कुछ लोग तो इस बीमारी से इतने ग्रसित हो गये हैं कि बिना उद्देश्य के भी लगातार कुछ न कुछ सोचते रहते हैं और इसी को अपने जीवन की सफलता मानते हैं। अनावश्यक चिन्तन, मनन के कारण ही मानसिक तनाव उत्पन्न होता है। भावनात्मक तनाव- इस तनाव के मूलकारण हैं—आर्त और रौद्र ध्यान।२५ जो वस्तु प्राप्त नहीं है, उसे प्राप्त करने का प्रयत्न करना, उसी में निरन्तर लगे रहना आर्त्त ध्यान है। इसमें व्यक्ति मनोनुकूल वस्तु को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहता है तथा अप्रिय या मन के विपरीत वस्तु से छुटकारा पाने का भी प्रयत्न करता रहता है। इसी कारण भावनात्मक तनाव उत्पन्न होता है। रौद्र ध्यान भी इसका एक प्रमुख कारण है। मन में निरन्तर संकल्प-विकल्प की स्थिति बनी रहती है। कभी हिंसा की भावना आती है तो कभी प्रतिशोध की। घटना कुछ भी नहीं होती लेकिन बदले की भावना लम्बे समय तक चलती रहती है। व्यक्ति अपनी पूरी शक्ति इसी में लगा देता है और यही तनाव का कारण होता है। रौद्र ध्यान से उत्पन्न भावनात्मक तनाव चार स्थितियों में उत्पन्न होता है-२६ (I) हिंसानुबन्धी हिंसा का अनुबन्ध, (II) मृषानुबंधी - झूठ का अनुबन्ध, (IV) स्तेयानुबन्धी - चोरी का अनुबन्ध और, (v) संरक्षणानुबंधी - परिग्रह के संरक्षण का अनुबन्ध । ये चारों ही स्थितियाँ तनाव उत्पन्न करती हैं। शारीरिक तनाव एक समस्या है तो मानसिक तनाव उससे उग्र समस्या है और भावनात्मक तनाव तो विकट एवं भयंकर समस्या है। इसका परिणाम मानसिक तनाव से भी ज्यादा घातक है। चार्ल्सवर्थ और नाथन ने भी अपनी पुस्तक “सट्रेसमैनेजमेंट' (Stress Management) में तनाव के प्रकारों का उल्लेख किया है। जिनका यहां पर केवल नामोल्लेख किया जा रहा है। तनाव के ये प्रकार निम्नलिखित हैं- २७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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