Book Title: Sankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 01
Author(s): Kamtaprasad Jain
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia
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(९) बराएको०-'जरनल मॉफ दो रॉयल ऐसियाटिक सोसाइटी अन्दन । बेका०जैन कानून'-श्री. चम्पतराय जन विद्यावा (बिजनौर १९९०) बैग. 'जैनगेजेट'-अंग्रेजी ( मद्रास )। अप्र:='नधर्म प्रकाश'-७० शीतलप्रमादजी (बिजनौर १९२०)।
स्तू ='जैनस्तूप एण्ड अदर एप्टीक्वटीज ऑफ मथुग'-स्मिय । वैशासं०='जैन साहित्य संशोधक-मु. जिनविजयजी (पूना) । सिमा०='जनसिबान्त भास्कर'-श्री पद्मराज जैन (कलकत्ता)।
शिसं०="जैन शिलालेख संग्रह-प्रॉ० होरालाल जैन ( माणिकचन अन्त्यमाला )।
बेहि०- जैनहितषी'-०५०नाथूरामजी र पं.जुगलकिशोरजी (बबई) .. जैसू० (Js. )-जैन सूत्राज़ (S. B. E. Series, Vols. XII & XLV ).
टॉग-टॉडमा० कृत राजस्थानका इतिहास (वेङ्कटेश्वर प्रेस) ।
रिजेवा = ए रिक्शनरी ऑफ जैन बायोप्रैफी '-श्री उमरावविह टॉक (मारा)।
तक्ष='ए गाइड टू तक्षशिला-पर मॉन मारशठ (१९१८)। तत्वार्थ तत्वार्थाधिगम सूत्र'-श्री उमास्वाति (S. B.J. Vol. I) विप०= तिलोयपणत्ति'-श्री यतिवृषमाचार्य (जैनहितेषी भा०१३का२)
दिजे = दिगम्बर जन '-मासिकपत्र-० श्री मूलचन्द किसनदास अपरिया (सूरत)।
सनि०-दीघनिकार' ( P. T. S.) परि०- पशिट प'-प्री हेमचन्द्राचार्य ।
प्राजेले. प्राचीन जन लेखसंप्र-कामताप्रसाद जैन (वर्धा ) • बनिओनस्मा गाल, बिहार, ओड़ीसा जन स्मारक-श्रीमान् २० पीतमप्रसादजी ।
बजेस्मा सम्म प्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक-ब. शीतलपसादधी।
हबिट इन्डिया-प्रो. हीस डेविस । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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