Book Title: Sachitra Mukh Vastrika Nirnaya
Author(s): Shankarmuni
Publisher: Shivchand Nemichand Kotecha Shivpuri

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Page 13
________________ समर्पण श्रीमान् ! - परम पवित्र पूज्यपाद ! गुरुवर्य ! जगत वल्लभ ! जैन धर्म के सुप्रसिद्ध वक्ता मुनि श्री १००८ श्री "चौथमलजी" महागज के कृपा कटाक्ष से मुझे सम्यक् ज्ञान दर्शन चारित्र प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । अतएव गुरु महाराज के चारु पाद पद्म में यह सामान्य सी भेट समर्पण करता हूं । मुझे आशा है कि श्रीमान् इसे अवश्य अपनायंगे, अथवा मेरे मनो बल साहस को बढा कर श्री जिन शासन की सेवा करने में चेष्टित कर कृत कृत्य करेंगे, और मुझे निजात्म स्वरूप को चितवन करने का शुभ आशीर्वाद प्रदान करेंगे, भवदीय-- पाद-पद्मयो रनुचर शङ्कर मुनि.

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