Book Title: Sachitra Mukh Vastrika Nirnaya
Author(s): Shankarmuni
Publisher: Shivchand Nemichand Kotecha Shivpuri

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Page 28
________________ [ २ ] __ में हुई । इसी शुभ मुहूर्त में आपने भी अपने निवास स्थान की नींव लगाई, वहीं से श्राप अपनी श्रार्थिक स्थितिका बल बढ़ाते हुए, व्यापारी वर्ग में अग्रगण्य वने । श्रीमान् सेठ शिव चन्दजी साहब के अमालख चन्दजी नाम के एक पुत्र और दो प्रपोत्र, इसी प्रकार श्रीमान् सेठ नेमीचन्दजी के दो पुत्र और तीन बालिकाएं हैं। जैसे श्राप संसारी व व्यापारी वर्ग में अग्रगण्य है वैसे ही आप श्वे० स्था० श्रमणोपासक समाज में भी अग्रगण्य है । उक्त समाज के प्राचार और विचारों से तथा जैन धर्म के पूरे २ मर्मभ है । आपने अपने लिये अथवा अन्य भाईयों के धर्म ध्यानादि करने के लिये अपने निवासस्थान के निकट ही स्वकीय एक पोपधशाला भी स्थापन कर रखी है। आपके छोटे मोटे सभी घर भर वालों को धर्म की बहुत ही पछी लागणी है। आपने इस पुस्तक के व्यतिरिक्त और अन्य भी कई जैन धर्म सम्बन्धी पुस्तकें स्वकीय द्रव्य से छपवा कर अमूल्य वितरण कर अपनी धार्मिक उदारता का परिचय दिया है। अतः श्रीमानों से भी सादर सप्रेम नम्र निवेदन है कि उन धर्म प्रेमी सेठजी के अनुकरणीय कर्तव्य का अनुकरण करते हुए पाई हई लक्ष्मी का मानादिक के प्रचारार्थ सदुपयोग करेंगे। ॐ शांति ! शांति !! शांति !!! |

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