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मुखवस्त्रिका ।
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३-हवा में गन्दगी व अन्य मैली हवाओं का असर'
(अ) हाइड्रोक्लोरिक एसिड की भाप फेफड़ों को बिगाइनी है, और नेत्रों के रोग पैदा करती है।
(व ) कारवन डायाक्साइड (Droude) की भाप मस्तिक या नसों में दर्द व रगों में शिथिलता पैदा करती है।
(स, एमोनिया (कंजक्टाइवा) में दुर्विकार उत्पन्न करता है।
(इ) कारव्यूरेटेड हाईड्रोजन मस्तिष्क वमन, ऐंठन, इत्यादि(जव ज्यादा परिमाण में सूघ लिया जायनो)पैदा करती है।
( ई ) कारबन मोनोक्साइड खून का रंग हलका लाल कर देता है, और आक्सीजनेशन के मिलने से डाइरिया, मस्तिष्क नोसिस (उल्टी) नसों में तथा रगों में शिथिलता पैदा करता है।
ईटों के अवाड़े की हवा दुर्गन्ध पदार्थों के व्यापार की हवा चर्बी की फेक्टरियों की हवा, पाते साफ करने की हवा, हड्डियों को उबालने की हवा, कागज बनाने की हवा, नालों व गटर की हवा से डायारया, प्रांतों में दुर्विकार, कुष्ट रोग, डिप्थोरिया, एनिमिया, और सदा-कुस्वास्थ्य का रहना इत्यादिवीमा रियां होती हैं। परनालों की तथा गटर की हवा से हैजा, पा. क्षिव ज्वर, एरिस,पिलस, मल, लाल वुखार इत्यादि बीमारियां वढ़जाती है।
४-प्राणियों के सड़ते हुए शरीरों की हवा से डायरिया या डिसेन्ट्री पैदा हो जाती है।
अतः सजन गण ! स्वास्थ्य रक्षा के हेतु शुद्ध व स्वच्छ वायु अत्यावश्यक है । स्वास्थ्य अच्छा तव ही रह सकता है, जब अन्य पदार्थों के सिवाय शुद्ध हवा का परिपूर्ण भाग वि. द्यमान है। यह बात हर एक को विदित है कि यदि भूखों