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मुखवत्रिका।
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नहीं ? मनु महाराज ने तो राजा वेणु के समय की प्रथाका वर्णन कर उसका खंडन किया है अर्थात् एक भारी ग्रन्थी को खोला है । और आर्यसमाजी भाई पूर्वापर सम्बन्ध छोड़कर वीचके श्लोकों को प्रमाण में रखते हैं। परन्तु जिस वेणु के अत्याचार से पृथ्वी पीड़ित होउठी थी और अत्या चार के कारण वह नाश को प्राप्त हुआ था और उसके मन्थन से महाराज पृथु प्रकट हुए थे उसी वेणु की दूषित प्रथा को धर्म का रूप दे देना जितना आर्य समाजी भाइयों को शोभा देता है। उतना ही यह मुखवत्रिका को हाथ मे रखने का प्रमाण मन्दिरमार्गी भाइयो को भी शोभा देरहा है। एक प्रसिद्ध कवि ने कहा है "अपने मतलब के प्रमाण शैतान भी शास्त्रों में से देमकता है " * ____ इस सूत्र में जो पूर्वापर सम्बन्ध छूट गया है उसका वर्णन किए विना इस शंका का समाधान नहीं होगा। अत. उसका वर्णन करता है।
वाचकवर्ग ? दो हजार वर्ष पूर्व की घटना है “ एक दिन । गौतम स्वामी भिक्षाशन प्राप्त करने के लिए वस्ती में पधारे । वहा एक दुग्वित आत्मा वहते हुप व्रणों से युक्त शरीर के अत्यन्त दुखी भिखमंग को देखा। स्वामी ने दयाई होकर विचार किया, कि इस मनुप्यके लिये तो यह लोक ही नर्क होरहा है। इससे बढ़कर नर्क की यंत्रणा या हो सकती है ? लौटने पर भगवान महावीर म उस मंगते की दास गय व्यथा का वर्नन कामराय पूर्ण शब्दों में किया। इस पर भगवान ने कहा गौतम नर्क में तो इससे भी बढ कर दुख हैं यदि इस रहस्य को जान
• देन्या 'बाद 'का नवम्बर मास की सन 18 27 का सख्या