Book Title: Sachitra Mukh Vastrika Nirnaya
Author(s): Shankarmuni
Publisher: Shivchand Nemichand Kotecha Shivpuri

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Page 27
________________ प्रकाशक का परिचयप्रिय महानुभाव ! "ज्ञानमल केशरीचन्द" इस फर्म के वर्तमान काल में संचालक सेठ शिवचन्दजी एवं सेठ नेमीचंदजी है। श्राप ओसवाल जातीय श्वे० स्था० श्रमणोपासक सज्जन जन है। श्रापका श्रादि निवास स्थान, मेडले का है। यहां शिवपुरी में इस फर्म को स्थापित हुए करीव ६० वर्ष हुए होंगे । इस के मुख्य संस्थापक सेठ ज्ञानमलजी है। आपके पश्चात इस फम की बहुत कुछ उन्नति श्राप के पुत्र सेठ केश. रीचन्दजी ने की । श्राप के बाद श्राप के सुपुत्र सेठ लालचंदजी हुए । श्राप के एक लघु भ्राता मूलचन्दजी साहव थोड़ी ही अवस्था में स्वर्ग वासी हो चुके थे । श्राप के हाथों से भी इस फर्म की बहुत ही उन्नति हुई । यह फर्म यहां के समाज में अच्छी मानी जाती है। इस के वर्तमान मालिक सेठ लालचन्दजी के सुपुत्र हैं। सेठ नेमीचन्दजी स्थानीय ऑनरेरी मेजिस्ट्रेट है। तथा बोर्ड साहुकारान और कोआपरेटिव बैंक के मेम्बर हैं । सेठ शिवचन्दजी वड़े सरल और मित भापी हैं । दर वार में आपका अच्छा सम्मान है। आपको कई वार दरवार से पोशाकें इनाम मिली हैं। आप का ध्यान सदा सर्वदा दान धर्म की ओर विशेष तर रहता है । आपने ब्रह्मचर्याश्रम उदयपुर और आगरा अनाथालय में अच्छी सहायता प्रदान की है । आप का व्यापारिक परिचय इस प्रकार है। आपकी उक्त फर्म पर हुण्डी चिट्ठी तथा सराफी और कमीशन एजेंसी का काम भी होता है। आप की वम्बई, कलकत्ता आगरा आदि स्थानों पर एजेंसियां है। सं० १८९३ में शिवपुरी की स्थापना श्रावण शुक्ला पञ्चमी शनिवार पुण्य नक्षत्र के दिन शुभ मुहूर्त

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