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मुखवस्त्रिका। भगवान् महावीर तो चौवीसवे तीर्थकर है। इन के पहले तेईस तीर्थकर हो चके हैं। यदि भगवान महावीर से ही इस धर्म का प्रादुर्भाव हुआ होता तो तेईस तीर्थकर पहले कैसे होगए ? भगवान् महावीर ही पहले तीर्थकर माने जाते। परन्तु ऐसा नहीं है। _मुखवस्त्रिका का प्रचार भी इस धर्म के साथ ही से है। नया नहीं है क्योंकि यह तो जैनियो के दया पालन का मुख्य चिन्ह है। _ नया प्रचारतो मुखवस्त्रिका को हाथ में रखने का श्वेताम्बरी संप्रदाय मे हुआ है जिस को प्रमाणों के सहित आगे समझाऊं गा।
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