Book Title: Sachitra Mukh Vastrika Nirnaya
Author(s): Shankarmuni
Publisher: Shivchand Nemichand Kotecha Shivpuri

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Page 23
________________ के सन्मुख रखता हुश्रा श्राशा करता हूँ, कि वे इसे पढ व हाथ में मुँहपत्ति रखने की शास्त्र विरुद्ध श्राधुनिक समय प्रचलित होने वाली भूठी प्रणाली को परित्याग कर जिनार मानूकुल मुँहपत्ति मुख पे बांध ने की सच्ची सनातनी जै प्रणाली को स्वीकार कर भगवदाज्ञा के श्राराधिक बने । व यही मेरी हार्दिक भावना है। प्रोम् सिद्धा सिद्धिं मम दिसं ले० चतुर्विधि श्री जैन संघ का दास सौधर्म गच्छीय शंकर-मुनि

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