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(१३) टि. (२) हर चतुर्भुज क्षेत्र को या तो चार प्रक्षरों
से स जो उसके चारों कोनों पर लिखे होते हैं या सिर्फ दो अक्षरों / से जो उसके आमने सामने के कोनों पर लिखे होते हैं बयान में करते हैं जैसा कि इस क्षेत्र को अब स द वा अ स या बद से बयान करते हैं
( ३५ ) समानान्तर सीधी रेखा वह सीधी रेखा हैं जो एक धरातल में हों और दोनों तरफ बढ़ाईजाने से कभी एक दूसरी से न मिलें
टि० (१) इससे यह समझना चाहिये कि उम धरातल की चो समानान्तर रेखायों के बीच में होताहै चौड़ाई हर जगह ममान होतीहै
टि. (२) यह समकिन है कि दो सीधी रेखा जो एक दूमारी से कभी नहीं मिलें गो वह कितनी ही बनाई जार ममानान्तर नहों इमो समय रखात्रों को एक धरातल में होने को क द रक्खो गयी है
(अ) समानान्तर चतमज वह क्षेत्र है जिसकी आमने सामने की भुज समानान्तर हों और जो सोधी रेखा किसी समानान्तर चतुर्भज के आमने सामने के कोनों के दर्मियान खौंचो जातो है उसको उस क्षेत्र का कर्ण कहते हैं
टि.(,) समानान्तर क्षेत्र वह है जिसके आमने सामने के सज समानान्तर हों-समानान्तर क्षेत्र में ४, ६,८ या युगम संख्या के सुज हो सक है जिसमें ग्रामने सामने के हर दो भुज समानान्तर होते हैं .
टि. (२) अगर समानान्तर चतुर्भुज अब स द का कर्ण अस हो और य क फ़ और ज क ल रेखा समानान्तर चतुर्भुज की अब और ाद भुजों की समानान्तर हों तो उस समानान्तर चतुर्भज में चार समानान्तर चतुर्भज बनेंगे जिनमें से दो यानी अ ज क य यौर क फ़स ल . में कण गुज़रता है और दो बानौ य क ल द और जब फ क में कर्ण नहीं गुज़रता है जिन समानान्तर चतुर्भुजों में कर्ण नहीं गुज़रता है उनको अ ज क य और क फ़ स ल समानान्तर चतुर्भुजों का पूरक कहते हैं
व स अबायोपक्रम टि-अवाध्यापक्रम बह वस्तुपपादय माध्य है जिसका सुबूत ऐसा माफ और जाहिर है कि सुबूत की हाणत नहीं रखता याद रखना चाहिये कि उको दम ने अवाध्योपक्रम से काम निर्फ प्रमेयोपपादय माध्यों के लिये यामल करने या वस्त पपाय साध्यों के हल करने में लिया है लेकिन उनका
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