________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(जैसा कि पहले अध्याय की सत्रहों साध्य के पपने से मालूम होगा) दी हो कोन न्यूनकोन होते हैं। टि. (२) अगर विभुज की सिर्फ भुजों पर ख़याल किया जाय तो वह सीन किस्म का होता है यानी समविबाहु त्रिभुज, समडिवाहु त्रिभुज, और विषमबाहु त्रिभुज और तीन ही किस्म का उस सूरत में होता है जब उपके सि कोनों पर ख़याल किया जाय यानी समकोन त्रिभुष, अधिक कोन त्रिभुज औ रन्यू नकोन त्रिभुज फिर त्रिभुज की और भी किस्में हो सक्ती हैं जब उसकी भुजाओं और कोनों दोनों पर खयाल किया जाय
(३०) वर्गव वह चतर्भुजक्षेत्र है जिसकी चारों भुजा आपसमें बराबर हों और चारों कोन सम कोन हो
टि. वर्गक्षेत्र की परिभाषा में एक ही कोन का समकोन कहना काफी है क्योंकि जिस चतुभुज क्षेत्र की चारों भुजा यायसमें बराबर हों और एक कोम समकोन हो तो उसके सब कोन जैसा कि पहिले अध्याय की छियालीसौं साध्य में साबित हुआ है समकोन होते हैं
(३१) आयत क्षेत्र वह चतुर्भुज क्षेत्र है जिसके चारों कोन समकोन हों लेकिन उसकी सब भुजा आपसमें बराबर न हों।
टि• जिस चतुर्भुज क्षेत्र की आमने सामने की सजाबरावर हो और एक कोन समकोन हो उसको अायत या समकोन चतुर्भुज कहते है
(३२) विषमकोन सम चतर्भज वह चतुर्भुज । क्षेत्र है जिसकी चारों भुजा आपसमें बराबर हों और // उसके कोन समकोन न हों
(३३) अजात्यायत वा विषमकोन आयत वह चतुर्भुत क्षेत्र है जिसकी आमने सामने की भुजा आपसमें बराबर हों लेकिन सब भुजा आपसमें बराबर न हों और कोने भी समकोन न हों
(३४) इन चार चतुर्भुज क्षेत्रों के सिवाय हर चतुर्भज क्षेत्र को विषम चतभ ज क्षेत्र कहते हैं
टि. (१) कभीर विषम चतुर्मुज जिसकी दो भुजा समानान्तर होती है समलम्ब चतुर्भन कहलाता है
चतुर्भुज /
For Private and Personal Use Only