Book Title: Ratnasar
Author(s): Tarachand Nihalchand Shravak
Publisher: Tarachand Nihalchand Shravak

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ ( ६ ) ॥ विषयानुक्रमणिका ॥ प्रश्न विषय. ५८ सुगति कुगति नो स्वरूप. ५९ रोगाक्रान्त नुं लक्षण. बल वीर्य नो अर्थ. ६० ६१ ६२ सम्यक्ती थी पडे त्यारे केटली स्थिति बंधै ? ते कर्म छैने जीव ते पिण कर्म पुद्गल छै ते शी रीते ? ६३ नव तत्व है ते च्यार प्रकारै छै. एक नव तत्व नी गाथा ते च्यार प्रकारै छै. ६४ हिवै कर्त्तापणै कर्म श्रने क्रिया तिहां ताई बंध. । जैन दर्शन केवी रीते है ? ६५ द्रव्य संवर भाव संवर नो स्वरूप. ६६ दर्शन ते थी जे देखवो ते शी रीते है ? ६७ ६८ पृष्ठ. "" 9 ३७ "" " ३६ ४० ४१ O "" ४२ 8३ निर्जरा नुं स्वरूप. जीव नुं स्यादवाद मार्गे द्रव्य, गुण, पर्याय थापवुं. ४४

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 332