Book Title: Ratnasar Author(s): Tarachand Nihalchand Shravak Publisher: Tarachand Nihalchand Shravak View full book textPage 9
________________ ॥ विषयानुक्रमणिका ॥ विषय. प्रश्न. ४५ धर्म, कर्म, भर्म सेणे ? पुण्य धर्म एक छै किंवा जुदा है ? ४६ ४७ हिवै धर्म कर्म उपजतो छद्मस्त किम् जाणै ? स्वाभाविक त्रण गुण (ज्ञान, दर्शन, चरित्र) नो लक्षण. "" धर्म सांभलवो जाणवो, धारवो ते केवी रीते? ३२ जीवनी चेतना बे प्रकार नी है. ३३ ४८ ४९ ५० ५१ : त्रिकाल भाव कर्म निवारवानुं कारण. ५२ व्यवहार ना ४ भेद नी विगत. ५३ तीन प्रकार ना कर्म नी विगत. ५४ दया ना च्यार भेद.: ५५ मोक्ष ना त्रण भेद. ५६ चेतना केवी छै ? ५७ ( ५ ) पृष्ठ. ३० "" ३१ 121 " ३४ ३५ 99 "" भवाभिनंदी, पुद्गलानंदी, आत्मानंदी जीव ना लक्षण. ३६Page Navigation
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