Book Title: Rajasthani Jain Sahitya
Author(s): Manmohanswarup Mathur
Publisher: Rajasthani Granthagar

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Page 8
________________ पुरोवाक् प्रस्तुत ग्रंथ में संकलित शोध निबन्धों की सामग्री मैंने राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब के राजकीय एवं निजी संग्रहालयों से जब-तब प्राप्त की है। इन्हें शीघ्र एवं सहज रूप से सुलभ करवाने के लिये सम्बन्धित संग्रहालयों का मैं हृदय से आभारी हूँ । सामग्री के विवेचन और विश्लेषण में मुझे पूज्य गुरुवर (प्रो.) नरोत्तमदास स्वामी, जैन साहित्य मर्मज्ञ स्व. श्री अगरचन्द नाहटा के पूत आशीर्वाद के साथ ही सर्वाधिक सहयोग डॉ. ब्रजमोहन जावलिया (उदयपुर) का मिला । वे मेरे गुरू और अग्रज तुल्य हैं, अतः उनके प्रति आभार ज्ञापित करना धृष्टता होगी। भाई श्री ब्रजेशकुमार सिंह का मैं आभार किन शब्दों में अभिव्यक्त करूं, जिन्होंने इस सामग्री को मेरी सुविधानुसार शीघ्र टंकित कर यथासमय मुझे दे दी। राजस्थानी जैन साहित्य से सम्बन्धित इतनी सारी सामग्री एक साथ पुस्तकाकार में प्रकाशित हो सुधी विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत हो, यही इस पुस्तक के प्रकाशन का लक्ष्य है। (डॉ.) मनमोहन स्वरूप माथुर

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