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उपवास २
आचारदिनकर (खण्ड-४)
315 प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि यह यतियों एवं श्रावकों के
सवंत्सर-तप, अनागाढ़ । करने योग्य अनागाढ़-तप है। इस तप । वर्ष में २४ पक्ष | उपवास २४ । के यंत्र का न्यास इस प्रकार है - | कार्तिक चातुर्मास में | उपवास २ ३४. नंदीश्वर-तप -
| फाल्गुन चातुर्मास में | उपवास २ |
| आषाढ चातुर्मास में | अब नपारपास का पाप । पर्यषण पर्व में उपवास ३ | बताते हैं - "नंदीश्वरतपो दीपोत्सवदर्शादुदीरितः।
सप्तवर्षाणि वर्ष वा क्रियते च तदर्चने ।।१।। नंदीश्वर का तप दीपावली की अमावस्या से आरम्भ करे। यह तप सात वर्ष, अथवा एक वर्ष में उसकी (नंदीश्वर की) पूजा द्वारा पूर्ण किया जाता है। - नंदीश्वर-द्वीप में स्थित चैत्यों की आराधना के लिए यह तप बताया गया है। इसमें दीपावली की अमावस्या के दिन पट्ट पर नंदीश्वर का चित्र बनाए। उस दिन शक्ति के अनुसार उपवास, आयम्बिल, एकासन या नीवि करे। बाद में प्रत्येक अमावस्या को वही तप करे - इस प्रकार सात वर्ष तक, अथवा एक वर्ष तक तप करे।
इस तप के उद्यापन में बृहत्स्नात्रविधि से परमात्मा की पूजा करके स्वर्णमय नंदीश्वर-द्वीप के आगे बावन-बावन विविध प्रकार के मोदक, पुष्प चढ़ाए। संघवात्सल्य एवं संघपूजा करे। इस तप के करने से आठ भव में मोक्ष प्राप्त होता है। यह तप साधुओं एवं श्रावकों के करने योग्य आगाढ-तप है। इस तप के यंत्र का न्यास इस प्रकार है
नंदीश्वर-तप, आगाढ़, वर्ष-७ । वर्ष १ उ. उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. उ. | उ. | उ. | उ. वर्ष २ | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | वर्ष ३ | उ. उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. उ. | उ. |
वर्ष ४ | उ. उ. | उ. | उ. उ. उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | वर्ष ५ उ... उ. | उ. | उ. | उ. उ. उ. | उ. | उ. उ. | उ. उ. | | वर्ष ६ उ. | उ. | उ. | उ. उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | वर्ष ७ | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. |
एक वर्ष उ. | उ. | उ. | उ. | उ. उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. | उ. की अपेक्षा से १२
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