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आचारदिनकर (खण्ड- ४ )
प्रायश्चित्त, आवश्यक एवं तपविधि
आचार्य श्री वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर के उभयस्तम्भ में तपविधि-कीर्तन नामक यह उनचालीसवाँ उदय समाप्त होता है ।
नी.
यंत्रों में प्रयुक्त सांकेतिक अक्षरों की सूची
उ.
आ.
पा.
ग्रा.
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उपवास, अर्थात् सम्पूर्ण अन्न का त्याग करना । आयंबिल अर्थात् छों विगयों एवं लवण से रहित आहार एक बार ही बैठकर लेना । ( कुछ गच्छों में आयंबिल में लवण का उपयोग किया जाता है | ) नीवि अर्थात् छहों विगयों से रहित आहार एक बार ही बैठकर लेना ।
पारणा, अर्थात् तप के दूसरे दिन आहार ग्रहण
करना ।
ग्रास या कवल, इसका अर्थ तो सर्वमान्य है ।
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