Book Title: Prameyratnamala
Author(s): Shrimallaghu Anantvirya, Rameshchandra Jain
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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तृतीय समुद्देशः
११५ पत्तेरयोगात् । न ह्यनुकूलमात्रमन्त्यक्षणप्राप्तं वा कारणं लिङ्गमिष्यते; येन मणिमन्त्रादिना सामर्थ्यप्रतिबन्धात्कारणान्त रवैकल्येन वा कार्यव्यभिचारित्वं स्यात् । द्वितीयक्षणे कार्यप्रत्यक्षीकरणेनानुमानानर्थक्यं वा; कार्याविनाभावितया निश्चितस्य विशिष्टकारणस्य छत्रादेलिङ्गत्वेनाङ्गीकरणात् । यत्र सामर्थ्याप्रतिबन्धः कारणान्तरावैकल्यं निश्चियते, तस्यैव लिङ्गत्वं; नान्यस्येति नोवतदोषप्रसङ्गः। .. इदानीं पूर्वोत्तरचरयोः स्वभावकार्यकारणेष्वनन्तर्भावाद् भेदान्तरत्वमेवेति दर्शयति
न च पूर्वोत्तरचारिणोस्तादात्म्यं तदुत्पत्तिर्वा, कालव्यवधाने तदनुपलब्धः॥ ५७ ॥
तादात्म्यसम्बन्धे साध्यासाधनयोः स्वभावहेतावन्तर्भावः, तदुत्पत्तिसम्बन्धे च हमें अनुकूल मात्र अथवा अन्त्य क्षण प्राप्त ( कार्य उत्पन्न होने के अव्यवहित पूर्व क्षण प्राप्त तन्तुसंयोग रूप ) कारण को लिङ्ग मानना इष्ट नहीं है । ( यहाँ पर मात्र शब्द के ग्रहण से कार्य के साथ कारण के अविनाभाव का निराकरण किया है)। जैसे दीपक में बहुत क्षण उत्पन्न होते हैं और विनाश को प्राप्त होते हैं, फिर भी प्रदीप के विनाश काल में जो अन्त्यक्षण है, वह उत्तरक्षण उत्पन्न नहीं करता है, उस प्रकार का स्वीकार नहीं है। जिससे मणि-मन्त्रादि के द्वारा सामर्थ्य के प्रतिबन्ध से अथवा अन्य सहकारी कारणों की विकलता से वह कार्य के साथ व्यभिचारपने को प्राप्त हो। द्वितीय क्षण में कार्य के प्रत्यक्ष करने से अनुमान की व्यर्थता हो; क्योंकि अविनाभाव रूप से निश्चित विशिष्ट कारण रूप क्षत्रादि को हमने लिङ्ग रूप से स्वीकार किया है। जहाँ पर सामर्थ्य का प्रतिबन्ध न होना और अन्य कारणों की अविकलता निश्चित की जाती है, उसके ही लिङ्गपना माना है, अन्य के नहीं। इस प्रकार उक्त दोष का प्रसंग प्राप्त
नहीं होता। ___- अब पूर्वचर और उत्तरचर हेतु भी भिन्न ही है। क्योंकि वे स्वभाव हेतू, कार्य हेतु और कारण हेतुओं में अन्तर्भूत नहीं होते, इस बात को दिखलाते हैं
स्त्रार्थ-पूर्वचर और उत्तरचर हेतुओं का साध्य के साथ तादात्म्य सम्बन्ध नहीं है, तदुत्पत्ति सम्बन्ध भी नहीं है, क्योंकि काल का व्यवधान होने पर इन दोनों सम्बन्धों की उपलब्धि नहीं होती है ।। ५७॥
साध्य-साधन में तादात्म्य सम्बन्ध के होने पर स्वभाव हेतु में अन्त
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