Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Suresh Sisodiya
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
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xx : हेम प्राकृत व्याकरण
॥१-१३९ ।।रिः केवलस्य ।। १-१४०।। ऋणर्वृषभत्वृषौ वा ।। १-१४१ ।। दृशः क्विप्-टक्-सकः ।। १-१४२ ।।आदृते ढिः ।।१-१४३।। अरिदृप्ते ।।१-१४४ ।। लत इलिः क्लृप्त-केलुन्ने ।। १-१४५ ।। एतइद्वा वेदना-चपेटा-देवर-केसरे।।१-१४६ ।। ऊः स्तेने वा ॥ १-१४७ ।। ऐत एत् ।। १-१४८ ॥ इत्सैन्धव-शनैश्चरे ॥ १-१४९ ।। सैन्ये वा ॥१-१५०।। अइदैत्यादौ च ।। १-१५१ ।। वैरादौ वा ।। १-१५२ ।। एच्च देवे ।। १-१५३।। उच्चैर्नीचस्यैअः ।। १-१५४ ।। ईद्धेर्ये ।। १-१५५ ।।
ओतोद्वान्योन्य-प्रकोष्ठाताद्य-शिरोवेदना-मनोहर-सरोरूहेक्तोश्च वः ।।१-१५६।। ऊत्सोच्छ्वासे ।। १-१५७ ।। गव्यउ-आअः ।।१-१५८ ।। औत ओत् ।।१-१५९ ।। उत्सौन्दर्यादौ ।। १-१६०।। कौक्षेयके वा ।। १-१६१ ।। अउः पौरादौ च ।। १-१६२ ।। आच्च गौरवे॥१-१६३।। नाव्यावः ।।१-१६४ ।। एत् त्रयोदशादौ स्वरस्य सस्वर व्यञ्जनेन।। १-१६५ ॥ स्थविर-विचकिलायस्कारे ।। १-१६६।। वा कदले ।। १-१६७ ।। वेतः कर्णिकारे ।। १-१६८ ।। अयो वैत् ।। १-१६९ ।। ओत्पूतर-बदर-नवमालिका-नवफलिका-पूगफले।।१-१७०।। न वा मयूख-लवण-चतुर्गुण-चतुर्थ-चतुर्दश-चतुर्वार -सुकुमारकुतूहलोदूखलोलूखले।।१-१७१ ।। अवापोते ॥ १-१७२ ।। ऊच्चोपे ॥ १-१७३ ।। उमो निषण्णे ।।१-१७४ ।। प्रावरणे अङ्ग्वाऊ ।। १-१७५ ।। स्वरादसंयुक्तस्यानादेः।। १-१७६।। क-ग-च-ज-त-द-प-य-वां प्रायो लुक्।।१-१७७।। यमुना-चामुण्डा-कामुकातिमुक्तके मोनुनासिकश्च।। १-१७८।। नावर्णात् पः।। १-१७९।। अवर्णो य श्रुतिः।। १-१८०।। कुब्ज-कर्पर-कीले कः खोऽपुष्पे।।१-१८१।। मरकत-मदकले गः कंदुके त्वादेः।। १-१८२।। किराते चः।।१-१८३।। शीकरे भ-हौवा।। १-१८४॥ चंद्रिकायां मः।।१-१८५।। निकष-स्फटिक-चिकुरेहः।।१-१८६|| ख-घ-थ-ध-भाम्।।१-१८७|| पृथकि धो वा।।१-१८८|| श्रृङ्खले खः कः।।१-१८९।। पुन्नाग-भागिन्योर्गो मः।।१-१९०।। छागे लः।।१-१९१।। ऊत्वे दुर्भग-सुभगे वः।।१-१९२।।खचित-पिषाचयोश्चःस-ल्लो वा।। १-१९३।।जटिलेजो झोवा।।१-१९४।। ।।टोडः १-१९५।। सटा-शकट-कैटभे ढः।। १-१९६।। स्फटिकेलः।। १-१९७|| चपेटा-पाटौ वा।। १-१९८।। ठो ढः।। १-१९९।। अकोठे ल्लः।। १-२००।। पिठरे हो वा रश्च डः।। १-२०१।। डोलः।।१-२०२।। वेणौ णो वा।।१-२०३।। तुच्छे तश्च-छौ वा।। १-२०४।। तगर-त्रसर-तुवरेटः।। १-२०५।। प्रत्यादौ डः।। १-२०६।। इत्वे वेतसे।। १-२०७।। गर्भितातिमुक्तके णः।। १-२०८|| रूदिते दिनाण्णः ।। १-२०९।। सप्ततौ रः।। १-२१०।। अतसी-सातवाहने लः।। १-२११।। पलिते वा।। २-२१२।। पीते वो ले वा।। १-२१३।। वितस्ति-वसति-भरत-कातर-मातुलिंगे हः।। १-२१४।। मेथि-शिथिर-शिथिल-प्रथमे थस्य ढः।। १-२१५।। निशीथ-पृथिव्यो
।।१-२१६।। दशन-दष्ट-दग्ध-दोला-दण्ड-दर-दाह-दम्भ-दर्भ-कदन-दोहदे दो वाडः।।१-२१७।। दंश-दहोः।।१-२१८|| संख्या-गद्गदे रः।।१-२१९।। कदल्यामुद्रमे।। १-२२० ।। प्रदीपि-दोहदे लः।। १-२२१|| कदम्बे वा।।१-२२२।। दीपौ धो वा।। १-२२३|| कदर्थिते वः।।१-२२४|| ककुदे हः।। १-२२५।। निषेध धो ढः।।१-२२६|| वौषधे।।१-२२७|| नो णः।। १-२२८|| वादौ।। १-२२९।। निम्ब-नापिते-ल-णहं वा।। १-२३०।। पो वः।। १-२३१।। पाटि-परुष-परिघ-परिखा-पनस-पारिभद्रे फः।। १-२३२।। प्रभूते वः।।१-२३३।। नीपापीडे मो वा।।१-२३४।। पापर्धी रः।।१-२३५।। फो भ-हौ।।१-२३६।।व :।।१-२३७।। बिसिन्यां भः।।१-२३८।। कबन्धे म-यौ॥ १-२३९।। कैटभे भो वः ।। १-२४० ॥ विषमे मो ढो वा ।। १-२४१ ।। मन्मथे वः ।। १-२४२ ।। वाभिमन्यौ ॥१-२४३ ॥ भ्रमरे सो वा ।। १-२४४ ।। आदेो जः ।। १-२४५ ।। युष्मद्यर्थपरे तः ।। १-२४६ ।। यष्ट्यां लः ।। १-२४७ ।। वोत्तरीयानीय-तीय कृयेज्जः ।।१-२४८।। छायायां हो कान्तौ वा ॥१-२४९।। डाह-वौ कतिपये ।। १-२५० ।। किरि-भेरे रोडः ॥१-२५१।। पर्याणे डावा ॥१-२५२।। करवीरेणः ॥१-२५३।। हरिद्रादौलः ।।१-२५४ || स्थले लोरः ।।१-२५५।। लाहल-लांगल-लांगुले वादे णः ।।१-२५६।। ललाटे च ।। १-२५७॥ शबरे बो मः ॥१-२५८।। स्वप्न-नीव्यो
॥१-२५९।।श-षोः सः ।।१-२६०।। स्नुषायांण्हो न वा ।।१-२६१।। दश-पाषाणे हः ।। १-२६२।। दिवसे सः ।।१-२६३।। हो घोनुस्वारात् ।।१-२६४॥ षट्-शमी-शाव-सु-सप्तपर्णेष्वादेश्छः ।।१-२६५।। शिरायां वा ।।१-२६६।। लुग् भाजन-दनुज-राजकुले जः सस्वरस्य न वा ।। १-२६७|| व्याकरण-प्राकारागते कगोः ।।१-२६८।। किसलय-कालायस-हृदये यः ।।१-२६९|| दुर्गादेव्युदुम्बर-पादपतन-पाद पीठन्तर्दः ।।१-२७०।। यावत्तावज्जीविता वर्तमानावट-प्रावरक-देव कुलैव मेवे वः।। १-२७१।।
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