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प्रथमः पादः ।
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मंसू याय े. अश्रु श्मश्रु तेने या दीने श्मश्रुस्थाने स नो लुक् थयो, पबी सर्वत्र रलुक् सूत्रथी र नो लुक् थाय, पत्नी शषोः सः सूत्र लागी श्रा चालता नियमयी - नुस्वार याय. पी क्लीबे सम्, मोनुखार अक्लीबेसौ दीर्घः नियमो लागी त्यव्यंजनने स्थाने अ थाय. पनी अंत्यव्यंजन विनक्ति स् नो लुक् थ अंसू ने मंसू रूप सिद्ध आय. संस्कृत पुच्छ गुच्छ ना प्राकृत पुंछं गुछं एवां रूप थाय बे. पुत्र, गुन्छ शब्दने शषोः सः लागी पनी श्रा सूत्रथी अनुस्वार याय. पबी क्लीये सम् सूत्र लागी पुंछं गुछं रूप सिद्ध थाय. संस्कृत मूर्डन शब्दनुं प्राकृत मुंढा थाय बे. मूर्द्धन ने इस्व सं० सूत्री मुथा, पछी श्रर्द्धिमूडते वा ए सूत्रश्री विकल्पे र्द्ध नो ढ थाय, पी पुंस्यन आणो राजवच्च ए सूत्रथी अन् ने स्थाने आ याय, पनी अंत्यव्यं ० सू नो लुक् श्राय एटले मुंढा रूप सिद्ध थाय. संस्कृत पर्शु तेने सर्वत्र रलुक्, शषोः सः, लागी चालता सूत्र अनुस्वार याय, पढी अक्की बेसौ दीर्घः अंत्यसलुक् नियमोथी पंसू रूप सिद्ध थाय. संस्कृत बुध ने अधोमन सूत्रथी न नो लुकू याय, पी श्रा सूत्र अनुस्वार या क्लीबे स्म्, मोनुस्वार नियमो लागी बुधं रूप सिद्ध थाय. संस्कृत कर्कोटने सूत्र अनुस्वार यह सर्वत्र रलुक् टोडः अतः सेर्डी : सूत्रो लागी कंकोडो रूप सिद्ध थाय, संस्कृत कुड्मल शब्दने प्रक्मोथस्यप० सूत्र लागी श्रा सूथी अनुस्वार थाय, पबी क्लीबे समाने मोनुखारः सूत्रो लागी कुंपलं रूप सिद्ध थाय. संस्कृत दर्शन शब्दने सर्वत्र रलुक, शषोः सः चालता सूत्र, थी नो णः क्लीबे सूम ने मोनुस्वारः सूत्रोथी दंसणं रूप सिद्ध थाय. संस्कृत वृचिकने इत्पादौ ए सूत्रथी वृ नो विधाय पछी हस्वास्थ्यश्च ए सूत्रथी च नो छ थाय. पी या सूत्रथी तथा क ग च ज सूत्रथी क नो लुक् थाय, पती अतः सेर्डो लागी विछिओ रूप सिद्ध थाय. संस्कृत गृष्टि ने इत्कृपादौ सूत्री गृ नुं गि थाय, पबी श्री सूत्र अनुस्वार थाय. ष्टस्यानुष्टे० सूत्रथी ष्ट नो ठ थाय, पबी अक्लीबे० तथा अंत्यव्यंजन सलुक् सूत्रोथी गंठी रूप सिद्ध थाय. संस्कृत मार्जार ने ह्रस्व सं० सूत्रथी मा नो म थाय. श्रा सूत्रथी अनुस्वार थाय. सर्वत्र रलुक् श्रने अतः सेर्डी सूत्रो लागी मंजारो रूप सिद्ध थाय. संस्कृत वयस्य शब्दने सूत्रथी बीजा छाक्षरनो अनुस्वार था, पबी अधोमनयां यलुक् श्रने अतः सेर्डी सूत्रो लागी वयंसो रूप सिद्ध थाय. संस्कृत मनस्विन् शब्दने या सूत्रथी बीजा अक्षरनो अनुस्वार थाय, सर्वत्रवलुक, अंत्यव्यंजनलुक्, अक्लीबेसौदीर्घः अंत्यव्यंजन सलुक् नोणः सूत्रो लागी मणंसी रूप सिद्ध थाय. संस्कृत मनस्विनी ने श्र सूत्रथी बीजा वर्णनो अनुस्वार थइ सर्वत्रवलुक्, नोणः, अंत्यव्यंजन सलुक सूत्रो लागी मणंसिणी रूप सिद्ध थाय. संस्कृत मनसुशिला - अंत्यव्यंजन सलुक सूत्र लागी श्र सूत्रथी बीजा वर्णनो अनुस्वार थया पढी शषोः सः नोणः अंत्यव्यं०सलुक् सूत्रो लागी मणंसिला रूप सिद्ध थाय. संस्कृत प्रतिश्रुत् शब्दने सर्वत्र रलुक्, पृथिष्टथिवीप्रति सूत्री ति नो त थाय, पछी प्रत्यादौ डः सूत्रथी त नो ड श्राय, पबी स्त्रिया
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