________________ जब प्राण तन से निकलें ऐसा समय हो भगवन्, जब प्राण तन से निकलें नवकार जपते-जपते, मम प्राण तन से निकलें ऐसा समय हो भगवन्, जब प्राण तन से निकलें ये क्रोध मान माया, अरु. लोभ जो बताया चारों कषायें छूटें, जब प्राण तन से निकलें ऐसा समय हो भगवन्, जब प्राण तन से निकलें नहीं बैर हो किसी से, सम भाव होय सबसे शांति क्षमा हो मन में, जब प्राण तन से निकलें ऐसा समय हो भगवन्, जब प्राण तन से निकलें ये कर्म जो दुखेरे, लागे हैं संग मेरे इनसे मैं मुक्त होऊँ, जब प्राण तन से निकलें ऐसा समय हो भगवन्, जब प्राण तन से निकलें होवे मरण समाधी, व्यापे न मोह व्याधी घट में हो ध्यान मेरा, जब प्राण तन से निकलें ऐसा समय हो भगवन्, जब प्राण तन से निकलें वस्तु स्वरूप निरखू, प्रभु ! आत्मगुण निहारूँ निज में हो ध्यान मेरा, जब प्राण तन से निकलें ऐसा समय हो भगवन्, जब प्राण तन से निकलें भक्ती में रत हूँ तेरी, शुद्धात्मा हो मेरी प्रभु नाम भजते-भजते, मम प्राण तन से निकलें ऐसा समय हो भगवन्, जब प्राण तन से निकलें कर जोड़ अर्ज मेरी, काटो करम की बेड़ी सम्यक्त्व होय पैदा, जब प्राण तन से निकलें ऐसा समय हो भगवन्, जब प्राण तन से निकलें प्राकृतविद्या-जनवरी-दिसम्बर (संयुक्तांक) '2004 00 143