________________ मरण के पाँच प्रकार :- 1. बालबाल-मरण 2. बाल-मरण 3. बालपण्डित-मरण 4. पण्डित-मरण 5. पण्डितपण्डित-मरण - मरण के ये पाँच प्रकार हैं। मिथ्यादृष्टि जीवों का मरण बाल-बालमरण है। असंयत सम्यग्दृष्टि का मरण बालमरण कहलाता है। देशव्रती श्रावक के मरण को बालपण्डित मरण कहते हैं। चारों आराधनाओं से युक्त निर्ग्रन्थ मुनियों के मरण का नाम पण्डित मरण है तथा केवलज्ञानी भगवान की निर्वाणोपलब्धि पण्डित-पण्डित मरण कहलाती है। समाधि : सामान्य लक्षण “वयणोच्चारणकिरियं परिचत्तं वीयरायभावेण। जो झायदि अप्पाणं परमसमाही हवे तस्स / / " -नियमसार, 122 वचनोच्चार की क्रिया परित्याग कर वीतराग भाव से आत्मा को ध्याता है, उसे समाधि कहते हैं। “संजमणियमतवेण दु धम्मज्झाणेण सुक्कझाणेण। जो झायइ अप्पाणं परमसमाही हवे तस्स / / " -नियमसार, 123 जो संयम, नियम और तप से तथा धर्मध्यान और शुक्ल ध्यान से आत्मा को ध्याता है, उसे परम समाधि होती है। “सयल-वियप्पहँ जो विलउ परम-समाहि भणंति। तेण सुहासुह-भावणा मुणि सयल वि मेल्लंति।।" -परमात्मप्रकाश, 2/190 समस्त विकल्पों का नाश होना परम समाधि है। इसी से मुनिराज समस्त शुभाशुभ विकल्पों को छोड़ देते हैं। 'युजेः समाधिवचनस्य योगः समाधिः ध्यानमित्यनर्थान्तरम् / ' तत्त्वार्थवार्तिक 6/9/12 योग का अर्थ ध्यान और समाधि भी होता है। ‘समाधानं मनसः एकाग्रताकरणं शुभोपयोगे शुद्धे वा।' -भगवती आराधना/वि./67/194/8 _ मन को शुभोपयोग में अथवा शुद्धोपयोग में एकाग्र करना समाधि शब्द का अर्थ है। _. “यत्सम्यक् परिणामेषु चित्तस्याधानमञ्जसा। ___स समाधिरिति ज्ञेय स्मृतिर्वा परमेष्ठिनाम् / / " –म.पु. 21/226 उत्तम परिणामों में जो चित्त का स्थिर रखना है वही यथार्थ में समाधि या समाधान है अथवा पंच परमेष्ठियों के स्मरण को समाधि कहते हैं। साम्य, स्वास्थ्य, समाधि, योगनिरोध और शुद्धोपयोग —ये समाधि के एकार्थवाची प्राकृतविद्या जनवरी-दिसम्बर (संयुक्तांक) '2004 00 157