Book Title: Prakrit Vidya Samadhi Visheshank
Author(s): Kundkund Bharti Trust
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 217
________________ भारA INDIA .5001 S बालचंद हिराचद WAALCHAND HIRACHAND वालचन्द हीराचन्द पर डाक टिकट जारी ___ नई दिल्ली, दिनांक 23.11.04 | प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में स्वर्गीय सेठ वालचन्द हीराचन्द के सम्मान में डाक टिकट जारी किया। डॉ. सिंह ने कहा कि वालचन्द हीराचन्द ने राह में आने वाली बाधाओं की न कभी परवाह की और न कभी किसी रियासत की उपेक्षा की। उन्होंने सिर्फ काम किया, बड़ा सपना देखा और उसे पूरा किया। इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि मन्त्री शरद पवार, पूर्व प्रधानमन्त्री चन्द्रशेखर, अरुण शौरी, अर्थशास्त्री प्रो. जगदीश भगवती और संचार व सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमन्त्री डॉ. शकील अहमद समेत कई विशिष्ट व्यक्ति उपस्थित थे। उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश के आज के दौर में वालचन्द हीराचन्द जैसे व्यापारियों की आवश्यकता है। हीराचन्द जी ने अपने साम्राज्य का सृजन उन उद्यम क्षेत्रों में प्रवेश करके किया जिनमें ब्रिटिश राज का एकाधिकार था। आप पोत निर्माण, . वायुयान निर्माण तथा आटोमोटिव निर्माण कम्पनियों की स्थापना कर अपने समय के अग्रणी प्रेरणास्रोतों जे.आर.डी. टाटा और घनश्याम दास बिरला के समक्ष पहुँच गए थे। हीराचन्द ने अपना व्यापार फैलाने के साथ ही देश की आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई थी। एच.सी.सी. के अध्यक्ष व महानिदेशक अजीत गुलाबचन्द ने वालचन्द हीराचन्द की अग्रणी उद्यमशीलता तथा उनकी राष्ट्रीयता के बीच के रिश्तों को रेखांकित किया। . सेठ वालचंद हीराचंद जैन की जिन्दगी वास्तव में मुश्किलों पर उनकी कर्मठता की विजय थी। सरदार वल्लभभाई पटेल के अनुसार आधुनिक भारत का निर्माण करने में जिन लोगों का सहयोग गिनाने लायक हैं, उनमें सेठ वालचंद हीराचंद का नाम हमेशा सम्मान से लिया जाएगा। लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में जगजाहिर है कि वह एक-एक शब्द चुनकर बोलते थे। यानि उनकी जुबान से निकला एक-एक शब्द वजन रखता था। इसी लौहपुरुष ने वालचंद हीराचंद जी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि 'वालचंद निराशा पर आशा, अविश्वास पर विश्वास और दुर्भाग्य पर सौभाग्य की विजय के प्रतीक हैं। ये शब्द वालचंद पर बिल्कुल खरे उतरते हैं। - अपने समकालीन उद्यमियों की तरह वालचंद भी कट्टर राष्ट्रभक्त थे। इन्होंने आजादी के पहले और बाद के भारत को औद्योगिक विकास के मार्ग पर डाला। भारत में शिपिंग उद्योग की शुरुआत करने के साथ-साथ बंगलौर में एयरक्राफ्ट कारखाने की नींव डाली। आज की 'हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड', कल की हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट कम्पनी' ही है। इसके अलावा वालचंद जी ने 1947 में 'प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स की स्थापना करके भारत में पहली बार कार उत्पादन की शुरुआत की। .. प्राकृतविद्या-जनवरी-दिसम्बर (संयुक्तांक) '2004 10215

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