Book Title: Prakrit Vidya Samadhi Visheshank
Author(s): Kundkund Bharti Trust
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 209
________________ राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा पद्मश्री से अलंकृत किया गया है। इससे सम्पूर्ण नारी जगत् को प्रेरणा मिलेगी और समाज भी गौरव की अनुभूति कर रहा है। आज का यह सम्मान समारोह समाज की कृतज्ञता स्वरूप है। ___ इस अवसर पर सुश्री निर्मला देशपाण्डे ने शॉल उढ़ाकर एवं श्रीमती सुधा जैन, श्रीमती सुषमा जैन, श्रीमती कुसुम जैन, श्रीमती सुशीला जैन ने पुष्पगुच्छ भेंट कर श्रीमती सरयू दफ्तरी का सम्मान किया। ___ प्राचीन श्री अग्रवाल पंचायत के प्रधान श्री चक्रेश जैन, महासभा के अध्यक्ष श्री निर्मल कुमार सेठी, त्रिलोक उच्चस्तरीय संस्थान के अध्यक्ष श्री त्रिलोकचन्द्र कोठारी, श्री गुलाबचन्द एवं श्री पी.सी. जैन इन्दौर, श्री अशोक शाह मुम्बई, पद्मश्री ओमप्रकाश जैन दिल्ली, कुन्दकुन्द भारती के अध्यक्ष एवं सभी न्यासियों ने एवं जस्टिस श्री रमेश चन्द्र जैन, डॉ. नलिन शास्त्री, आदि दिल्ली एवं बाहर से पधारे अनेक समाज के गण्यमान्य बन्धुओं ने ताई को पुष्पगुच्छ भेंट करके उनका अभिनन्दन किया। अन्त में श्रीमती सरयू ताई दफ्तरी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा- मैंने परमपूज्य आचार्यश्री के पहली बार दर्शन इन्दौर चार्तुमास के समय (1979) में किये थे, उसके बाद 1980 में मुम्बई में। मैं उनके त्याग, ज्ञान, तपश्चर्या से इतनी अभिभूति हुई। पूज्य आचार्यश्री. भारत की नहीं विश्व की सम्पत्ति हैं। मैंने आचार्यश्री की मातृभाव से सेवा करने का मन बना लिया। इस काम में मुझे मेरे पति, माता, पिता एवं परिवार से सहयोग एवं समर्थन मिला। मेरे पूर्वजन्म का कौन सा पुण्य है जिसके कारण मुझे ऐसे महान् सन्त का सान्निध्य मिला। महाराजश्री ने हमें जो ज्ञान दिया है उसको मैं कभी भूल नहीं सकती। इस जन्म में पुण्य प्राप्त कर अगले जन्म में आर्यिका बन सकूँ- ऐसी मेरी भावना है। आप सभी से मुझे जो स्नेह, सहयोग और सम्मान मिला है उसके लिए मैं आपके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ। . . आत्मानुशासन से ही शासन में पवित्रता सम्भव : आचार्यश्री विद्यानन्द ___ नई दिल्ली. 25 जुलाई, आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज के सान्निध्य में कुन्दकुम्द भारती में आयोजित एक भव्य समारोह में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मन्त्री अर्जुन सिंह ने वर्ष 2004 का चारित्रचक्रवर्ती पुरस्कार प्राचीन मराठी जैन साहित्य के वरिष्ठ विद्वान् डॉ. सुभाष चन्द्र अक्कोळे (महाराष्ट्र) को प्रदान किया। ___ इस अवसर पर आचार्यश्री ने अपने आशीर्वचन में कहा- यदि भगवान् महावीर के आत्मानुशासन अनेकान्त, अहिंसा, अपरिग्रह एवं स्याद्वाद् जैसे मूलभूत एवं सार्वकालिक सिद्धान्तों का जीवन में पालन किया जाए तो देश निश्चित रूप से उन्नति करेगा। आज शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्ति आ रही है भावी पीढ़ी के लिए नए आयाम खुल रहे हैं। सत्य का उद्घाटन करना शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है। शिक्षा प्राकृतविद्या-जनवरी-दिसम्बर (संयुक्तांक) '2004 00 207

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