________________ दिशाबन्धन किया और चातुर्मास में संयममय जीवन की प्रेरणा दी। __ * मूडबिद्री के भट्टारक पूज्य श्री चारुकीर्ति स्वामी जी के मंगलाचरण से धर्म सभा का शुभारम्भ हुआ। ___ साहू (डॉ.) रमेश चन्द्र जैन ने पावन दिवस निरूपित करते हुए कहा- जैन संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन में आचार्यश्री के अनुपम योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता। श्रीमती सरयू दफ्तरी के जीवन से सम्बन्धित प्रेरणास्पद प्रसंगों को सुनाया, और उन्होंने सुश्री निर्मला ताई देशपाण्डे को गाँधी जी के आश्रम व्यवस्था की जीवन्त प्रतीक बताया। साहू जी ने सामयिक परिस्थिति गिरनार जी पर असामाजिक व्यक्तियों द्वारा अतिक्रमण किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि भविष्य में हमें शाश्वत तीर्थ सम्मेदशिखर जी की तरह व्यापक आन्दोलन छेड़ना पड़ सकता है। पुनः समाज को एकजुटता दिखाने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस अवसर पर लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ के कुलपति प्रो. (डॉ.) वाचस्पति उपाध्याय ने गुरु महिमा की चर्चा करते हुए कहा- गुरु की दयादृष्टि हो तो वर्षा न होने पर अन्तस्तल स्निग्ध हो जाता है। यह मणिकंचन संयोग ही है कि वर्षायोग . स्थापना और ताई का अभिनन्दन हो रहा है। शक्तिसंचय गुरु के आशीर्वाद से ही होता है जो विकास के लिए अमूल्य पूंजी का कार्य करती है। सुश्री निर्मला ताई देशपाण्डे ने आचार्यश्री को इस युग के महान् दूरदृष्टा आचार्य बताते हुए कहा- पूज्य आचार्यश्री के दर्शनों और आशीर्वाद का अवसर मुझे सरयू ताई के कारण मिला। आचार्यश्री इस युग के महान् आचार्य हैं। सरयू ताई से जब भेंट होती थी तो हम लोग यही चर्चा करते थे कि इस देश और दुनिया को हम कैसे सन्मार्ग पर ले जा सकते हैं। अब से पन्द्रह-बीस साल पहले हम लोग जब शाकाहार के विषय पर चर्चा करते थे तो लोगों को विश्वास ही नहीं होता था, परन्तु आज सारा विश्व शाकाहार की ओर अग्रसर हो रहा है। कुन्दकुन्द भारती प्रांगण में आयोजित वर्षायोग स्थापना कार्यक्रम के अन्तर्गत पद्मश्री से सम्मानित श्रीमती सरयू दफ्तरी मुम्बई का अभिनन्दन समरोह प्रसिद्ध गाँधीवादी समाजसेविका निर्मला देशपाण्डे सदस्य राज्यसभा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। श्री सतीश जैन (आकाशवाणी) ने ताईजी श्रीमती सरयू दफ्तरी का परिचय और अवदानों को रेखांकित करते हुए कई मर्मस्पर्शी संस्मरणों से उपस्थित विशाल जनसमुदाय को अवगत कराया। श्री सतीश जैन ने मातेश्वरी श्रीमती ललिताबाई लालचन्द दोशी को विनयांजलि अर्पित करते हुए कहा- वे धन्य हैं जिन्होंने ऐसी कन्या रत्न को जन्म देकर समाज और देश पर उपकार किया है। सतीश जी ने कहा- सरयू ताई को उनके मानवीय गुणों से स्नेहिल व्यवहार और सामाजिक, औद्योगिक उपलब्धियों को रेखांकित करने के लिए महामहिम 206 00 प्राकृतविद्या-जनवरी-दिसम्बर (संयुक्तांक) '2004