Book Title: Prakrit Vidya Samadhi Visheshank
Author(s): Kundkund Bharti Trust
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 205
________________ 16 जनवरी 2004 को श्री कुन्दकुन्द भारती एवं श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ के संयुक्त सौजन्य से आचार्य कुन्दकुन्द व्याख्यानमाला का नवम एवं दशम सत्र का आयोजन किया गया। प्रमुख वक्ता प्रो. लालचन्द्र जैन भुवनेश्वर एवं डॉ. ऋषभचन्द्र जैन वैशाली थे। सभा की अध्यक्षता एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलपति प्रो. वाचस्पति उपाध्याय ने किया। मन्दिर आत्मा के बीमा स्थल हैं : आचार्यश्री विद्यानन्द नई दिल्ली। जैनसमाज, वसन्त कुन्ज के द्वारा 13 अप्रैल से 20 अप्रैल तक पंचकल्याण समारोह का भव्य आयोजन किया गया। 21 अप्रैल को चारित्रचक्रवर्ती परमपूज्य आचार्यश्री शान्तिसागर जी मुनिराज के 131वें जन्म-जयन्ती वर्ष में संयमवर्ष समारोह सानन्द सम्पन्न हुआ। 22 अप्रैल को सिद्धान्तचक्रवर्ती परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज का 80वाँ जन्म-जयन्ती समारोह भव्यता एवं गरिमापूर्ण सम्पन्न हुआ। 18 अप्रैल को पूज्य उपाध्यायश्री श्रुतसागर जी का पिच्छी परिवर्तन हुआ। धर्म-सभा को सम्बोधित करते हुए परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज ने कहा- आज सब जीवन बीमा की बात करते हैं परन्तु हमारे आचार्यों ने आत्मा के बीमा के लिए मन्दिर निर्माण की बात कही है। आचार्यश्री ने आगे कहा- चारित्र और ज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं। जहाँ ज्ञान है वहाँ जीव है और जहाँ जीव है वहाँ ज्ञान है। ज्ञान ही जिनका शरीर है ऐसी शुद्ध आत्माएँ सिद्धालय में विराजमान हैं। ___धर्मसभाओं को पूज्य उपाध्याय श्री श्रुतसागर जी, उपाध्याय श्री निर्णय सागर जी, आर्यिका श्री बाहुबली माताजी, मूढ़बिद्री के भट्टारक श्री चारुकीर्ति जी, तमिलनाडु के भट्टारक श्री धवलकीर्ति जी ने भी सम्बोधित किया। __पं. विजयकुमार शास्त्री इन्दौर प्रतिष्ठाचार्य थे। सह-प्रतिष्ठाचार्य दक्षिण के पं. सुकुमार उपाध्येय सौदत्ती रहे। इसके अतिरिक्त समय-समय पर अनेक विद्वानों ने संभा को सम्बोधित किया। इस अवसर पर श्री नानगराम जौहरी द्वारा नव-निर्मित पन्ना की 21 इंच पद्मासन प्रतिमा के साथ-साथ अन्य रत्नों की 20 प्रतिमाओं एवं एक सोने की प्रतिमा की प्रतिष्ठा भी सम्पन्न हुई। उक्त सभी प्रतिमाएँ परमपूज्य आचार्यरत्नश्री देशभूषण जी महाराज. की प्रेरणा से निर्मित क्षेत्र चूलगिरि, जयपुर में विराजमान होंगी। पंचकल्याणक के प्रथम दिन 14 अप्रैल को दिन में 2 बजे से श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् की साधारण सभा की बैठक आयोजित की गई। सभा में विभिन्न प्रान्तों से पधारे 60 से भी अधिक विद्वानों ने भाग लिया। सभा लगभग 4 घण्टे चली। इसमें कुछ प्रस्ताव भी पारित किए गये। - वसन्त कुन्ज जैन समाज ने तन, मन, धन एवं एकजुटता से इस भव्य समारोह * को सफल बना कर एक आदर्श प्रस्तुत किया है। महिलाएँ जहाँ उत्साही रहीं वहीं प्राकृतविद्या-जनवरी-दिसम्बर (संयुक्तांक) '2004 00 203

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