Book Title: Prakrit Chintamani
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

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Page 56
________________ प्राकत चिन्तामणि] ५१ हवेसु हवसु । अतः किम् । होहि होसु । होह हवह। बी० भवीति । भविष्यदर्थक प्रत्यय तथा तव्य-पत्याहवेमु हवसु । हवेमो हवमो। तुम से पूर्व के स्थान में नित्य ए तथा इये दो आदेश बी० अतइति । अत् से पर विध्याद्यर्थक सु के स्थान में होते हैं । हव्-अ-प्र० स० हिड प्र० सू० अ० १० ए ज्जे---जाहि-ज्जसु तथा लुपये चार आदेश विकल्प से हविहिइ हबेहिइ इत्यादि। होते हैं । हब्-अ--पूर्वसूत्र से सुप्र. सू० जे जहि- मेहिना स्सं । ३, ३, ३० । अजतुप् ३, ३, २२ अ-ए-हवन हवयाह हवः कौ० भविष्यसि मेहिना सह संवा स्यात् । हविस्म ज्जसु, हव । पक्षे २१ या ए-हवेषु हवसु । अत् क्यों ? पक्षेहोहि होसु में नहीं होता है । हद्-अ-मि= मु-हवेमु वी० मेरिति । भविष्यकाल में हि सहित मि को स्स हवम् । एवं बहु० हधेमो हवमो । सर्बपुरुष वचनों में हवेज्जा हवेज्जा हवेज्ज पूर्ववत् । पक्षे हवस इत्यादि । विकल्प से होता है। हर .. अहए हिमि-प्र० स० रसंहविर एवं प..... भूसार्थेच्यञ्जनायो अच् । ३, ३, २४ ॥ को० व्यञ्जनान्ताद्धातो परस्य भूतार्थ प्रत्ययस्य हेरत्तमस्य हा स्सा वा । ३, ३, २८।। स्थाने नित्यमोमः स्यात । हवीभ। आदेशोऽयं को० भविष्यत्युत्तम पुरुषस्य है: स्थाने हा, स्साच सर्वपुरुषवचनेषु । इत्था-इंसु इत्यादेशावपि मन्यन्ते वा स्तः। हविहामि हवेहामि । हविस्सामि केचित्तन्मते हविस्था हविसु । द्रष्टव्या संक्षिप्त हवेस्सामि । पक्ष-हविहिमि हवेहिमि । अष्टौ प्रा. रू० मालाषु (चन्दोदय) रूपाणि मी। दी. मूतेति । व्यञ्जनान्त धातु से पर भूतार्थक प्रत्यय के बी० हेरिति । भविष्यकास उत्तम पुरुष के हि के स्थान में mमपनों में आदेश नियोता विकल्प से हा तथा सा ये दो आदेश होते है। हव—हि हव–तिवादिप्र० स० ई हवीयकितने के मत ---मि-प्र० सू.हिदा -हा, रसा-३, ३, २० अमें इत्या-इंसु ये दो आदेश होने पर हवित्या हविसु । . इ-एहविहामि हवेहामि हबिस्सामि हवेस्सामि । पक्षे भविष्यति हिरादिरिबादे रार्येषु तु स्सः -हविहिमि हवेहिमि । ।।३, ३, २७। मुमोमाना त्या स्सा को भविष्यत्येषामेती वा स्तः । हविहित्था हवेको भविष्यदर्थस्येवादेरादिरवयवो हिः स्यात् । 'हित्था हविहिस्सा हवेहिस्सा। पक्ष हबिहामु आर्षे तु स्सः । विस्सइ हवेस्सइ इत्यादि। हविस्सामु इत्यादि । हे हे हा-स्साऽना-देशेबी० हेरिति । भविष्यकाल में इवादि के आदि अवयव हविहिमु इत्यादि । द्वाविंशती रूपाणि मुमोमेषु । होता है। आप में स्वादि के आदि में स्स होता है। सर्वपुरुष-वचनेषु-हविज्जा हवेज्जा हवेज्ज हविज्ज । हब--...-स्सइ, २० अ-इ-ए-हविस्सह हवेस्सइ । वी० भविष्यकाल में मु-मो-म के स्थान में स्था स्सा हबिस्सन्ति इत्यादि। मे दो आदेश विकल्प से होते हैं। पक्ष में हि को हा-सा भविष्यत्तव्यक्त्वातुभ्येच्च । ३, ३, २० । -~-धिकल्प पक्षे हि श्रवण । हविहित्या हविहिस्सा, एत्वे कौ० भविष्यदर्थकप्रत्यये तव्यायौ च परेऽतः स्थाने हवेहित्या, स्मा। पक्ष-हविहामु हवेहाणु हविस्सामु हदिनित्यमेदितीस्तः। हविहिइ हवेहि हवेहिए हविहिए। हिमु इत्यादि । हा---स्सा-४ । स्था. --स्सा-१२। हि हविहिन्ति हवेहिन्ति । एवं न्ते-इरे। हविहिसि,से, .-६। = २२ रूप होते हैं मुमोम में । सर्व पुरुष बचनों हवेहिसि, से । हविहित्या, ह, हवेहित्था, ह । में पूर्ववत् इवेज्जा हवेज ।

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