Book Title: Prakrit Chintamani
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: Ghasilalji Maharaj Sahitya Prakashan Samiti Indore

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Page 71
________________ ६६ | प्राकृत चिन्तामणि आकान्तावोनामाफुणावयः । ४, ४, ३५। विद्वत्तं । प्रलपितम् = ओमिसं। उद्विग्नः- उच्चुलो। को० क्तान्तान्ता क्रमादि धातनां स्थानेऽत्फणादयो मुण्डितः- उभत्तो इत्यादि । प्रा. की. द्र.। वा निपात्यन्ते । आक्रान्तः = अप्फुणो। बोल्लिणो। पानी दी० आर्केति । तान्त—आ–क्रमादि धातुओं के स्थान में अपफुण आदि शब्द का निपातन होता है। ३,१,१४. उत्कृष्टम् = उक्किट्ठ। मास्वादितम् -चक्खिों । २६ आदि सूत्रों से स्वादिकार्य आदि स्वयं समझ लें। स्थापितं =निमि। रुग्णः= तुक्को । अजितं- विशेष रूप में प्राकृत कौमुदी में देखें। ॥ इति प्राकृत भाषा समाप्ता ॥

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