Book Title: Prakrit Bhasha Vimarsh
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 10
________________ २०. प्राकृत गीतों की प्रयोग विधा है - विभाषायें २१. प्राकृत भाषाओं के भेद-प्रभेद २२. मार्कण्डेय के अनुसार भाषाओं के भेद-प्रभेद २३. रुद्रट और दण्डी के अनुसार भाषाओं के भेद २४. आचार्य हेमचन्द्र के अनुसार प्राकृत भाषा के भेद २५. अन्य प्राकृत भाषायें - प्रथमयुगीन प्राकृत भाषायें १. आर्ष प्राकृत २. शिलालेखी प्राकृत - - शिलालेखी प्राकृत का उदाहरण - खारवेल के हाथीगुम्फा ३६ मूल लेख का आरम्भिक अंश ३. निया प्राकृत . ४. धम्मपद की प्राकृत एवं इसकी गाथाओं के उदाहरण २६. अश्वघोष के नाटकों की प्राकृत २७. संस्कृत नाटकों में प्राकृत क) नाटकों में प्राकृतों के प्रयोग का शास्त्रीय विधान ख) पात्रानुसार विभिन्न प्राकृत-भाषाओं के प्रयोग का विधान ग) मृच्छकटिकम् में प्राकृतों का प्रयोग वैशिष्ट्य घ) नाटकों में प्राच्या और आवन्ती प्राकृत भाषायें ङ) नायिकाओं आदि पात्रों की प्रिय-भाषा च) संस्कृत नाटकों में प्राकृत सम्वादों की अधिकता . • छ) संस्कृत नाटकों में प्राकृत सम्वादों की उपेक्षा क्यों ? २८. सट्टकः प्राकृत नाटकों की एक विशिष्ट विधा - क) सट्टक की विशेषतायें ख) उपलब्ध प्रमुख सट्टक २९.: प्राकृत के प्रमुख व्याकरण शास्त्र ३०. प्राकृत भाषा की भाषागत प्रमुख विशेषतायें Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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