Book Title: Prakrit Bhasha Vimarsh
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 8
________________ प्रारम्भिक परिचय हेतु तथा प्राचीन भारतीय भाषाओं और इनके इतिहास में अभिरुचि रखने वाले जिज्ञासु विद्वानों, छात्रों आदि की आवश्यकताओं को विशेष ध्यान में रखते हुये यह पुस्तक तैयार की गई है, जिसमें इस विषयक सामान्यज्ञान हेतु प्राकृत भाषाओं का परिचय एवं विशेषताएँ, इतिहास, उपलब्ध साहित्य सहित विविध विषयों को सारगर्भित रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। सुधी पाठकों से निवेदन है कि इसमें जो भी कमियाँ दिखें, उनसे मुझे अवगत कराने का अवश्य कष्ट करेंगे, जिससे आगामी संस्करण में उनका संशोधन-संवर्धन किया जा सके। इसे तैयार करने में मुझे जिनका विशेष मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्राप्त हुआ है वे हैं - भारतीय प्राच्य विद्याओं तथा भाषाओं के सुविख्यात विद्वान् प्रो. गयाचरण त्रिपाठी जी। इस पुस्तक पर संस्थान के यशस्वी उपाध्यक्ष बंधुवर डॉ. जितेन्द्र बी. शाह जी के उत्साहवर्धक पुरोवाक् लिखने हेतु हम विशेष आभारी हैं। . भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिल्ली से इस पुस्तक के प्रकाशन हेतु सौजन्य प्राप्त हुआ, इसके लिए निदेशालय सहित यहाँ के उपनिदेशक (भाषा) श्री आर. एस. मीणा, डॉ. वेदप्रकाश एवं डॉ. दीपक पाण्डेय - इन सबके विशेष आभारी हैं। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के यशस्वी कुलपति प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी जी तथा हमारे संस्थान के सम्मानीय चेयरमेन श्री निर्मल भोगीलाल मुम्बई, अध्यक्ष श्री राजकुमार जी जैन, उपाध्यक्ष डॉ. धनेश जी जैन एवं श्री जे. पी. जैन जी अपने परिवारजनों धर्मपत्नी डॉ. मुन्नी पुष्पा जैन एवं ज्येष्ठ सुपुत्र डॉ.अनेकान्त कुमार जैन सहित सभी के सौजन्य के प्रति हम हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इस पुस्तक के टंकण कार्य में अथक श्रम करने वाले हमारे संस्थान के कम्प्यूटर प्रकोष्ठ के प्रभारी श्री लक्ष्मी कान्त के प्रति हम अपनी हार्दिक शुभाशंसा व्यक्त करते हुये प्रसन्नता का अनुभव कर रहे हैं। अक्षय तृतीया - प्रो. फूलचन्द जैन प्रेमी १३ मई, २०१३ निदेशक, बी. एल. इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी, दिल्ली Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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